तफ्तीश: नागपुर से भागने के बाद सोंटू जैन गया था बालाघाट
- पुलिस कर रही छान-बीन
- बालाघाट से ग्वालियर पहुंचा और वहां से आगे निकला
डिजिटल डेस्क, नागपुर। हाई कोर्ट से जमानत अर्जी रद्द होने के बाद अनंत उर्फ सोंटू नवरतन जैन नागपुर से भागने में सफल हो गया। पुलिस लाठी पीटती रह गई। सोंटू जैन नागपुर से भागने के बाद अपने दोस्त सनी और बंटी के साथ कार से बालाघाट गया था। बालाघाट जाने के बाद सोंटू ने ग्वालियर जाने के लिए टूर एंड ट्रैवल्स से टैक्सी बुक कराई थी। वह ग्वालियर में ही उतरा या उसने आगे का सफर तय किया। इसके बारे में नागपुर की अपराध शाखा पुलिस की टीम छानबीन में लगी है।
मोंटू पर भी मामला दर्ज : पुलिस का दावा है कि सोंटू जैन कितनी भी कूलांचे मार ले, लेकिन वह पुलिस की गिरफ्त से बच नहीं सकता है। सोंटू के फरार होने के बाद उसके छोटे भाई मोंटू उर्फ धीरज जैन के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। बताया जाता है कि पुलिस को जांच के दौरान मोंटू की भूमिका सट्टेबाजी के धंधे में सोंटू की मदद करने की रही है। सोंटू के खिलाफ मामला दर्ज होते ही मोंटू परिवार के साथ भूमिगत हो गया था। मांेटू की भी अब पुलिस तलाश में है। सोंटू जैन ने शहर के चावल कारोबारी विक्रांत अग्रवाल के साथ 58 करोड़ रुपए की ऑनलाइन गेमिंग एप के माध्यम से ठगी की। उसके घर पर पुलिस ने जब छापा मारा था, तब करोड़ों रुपए नकदी, सोने-चांदी के गहने मिले थे।
शुरुआत बालाघाट से की : सूत्र बताते हैं कि सोंटू ने गैबलिंग के कारोबार की शुरुआत बालाघाट से की थी। उसने एक दोस्त की मदद से पहली बार विदेश से कसीनो मशीन मंगाई थी। इस मशीन को वह दोस्त के साथ मिलकर बालाघाट में ही चलाता था। कसीनो के जरिए सोंटू ने बड़ी रकम कमाई थी। इसके बाद उसने अपना दायरा बड़ा कर लिया और वह क्रिकेट बुकियों के साथ जुड़ गया। बालाघाट में कसीनो लगाने के बाद शुरुआती दौर में सोंटू के पास खुद का कोई साधन नहीं था, इसलिए वह बाइक सवारों से लिफ्ट मांगकर गोंदिया से बालाघाट जाया करता था। उसके पास जब पैसे की आवक बढ़ी, तो वह बड़े शहरों में जाकर वहां के क्रिकेट बुकियों से दोस्ती की। सोंटू के नागपुर के कुछ क्रिकेट बुकियों से करीबी संबंध होने की चर्चा है। पुलिस को भी इसके बारे में भनक लगी थी, इसलिए कई बुकियों से पूछताछ की गई, लेकिन उसके नागपुर में कहां और किस बुकी से संबंध थे।