चुनाव परिणाम: विदर्भ में प्रभाव दिखाने में आंबेडकर की आघाड़ी रह गई वंचित, बहुजनवादी राजनीति पर संकट
- अकोला व बुलढाणा में महायुति को लाभ
- बहुजनवादी राजनीति पर संकट
डिजिटल डेस्क, नागपुर, रघुनाथसिंह लोधी। बहुजनवादी राजनीति का दावा करते हुए चुनाव के दौरान काफी चर्चा में रहे प्रकाश आंबेडकर को मतदाताओं ने झटका दिया है। आंबेडकर, अकोला में पराजित हो गए हैं। उनके नेतृत्व की वंचित बहुजन आघाडी को कई क्षेत्र में प्रभाव दिखाने में वंचित रह जाना पड़ा है। विदर्भ में भी लगभग वही स्थिति है। अकोला में भाजपा व बुलढाणा में शिवसेना शिंदे गुट के उम्मीदवार जीते। उन क्षेत्रों में कहा जा सकता है कि वंचित आघाडी का लाभ महायुति अर्थात भाजपा गठबंधन को मिला। अकोला में वंचित को 2,76,747 व बुलढाणा में 98,441 मत मिले हैं। बहुजनवादी राजनीति का दावा करनेवाली बसपा पहले ही राज्य में पिछड़ चुकी है। अब जानकार यह भी कहने लगे हैं कि बहुजनवादी राजनीति पर ही संकट है।
चुनाव के पहले चर्चा में
चुनाव के पहले गठबंधन को लेकर वंचित आघाडी चर्चा में थी। महाविकास आघ्ज्ञाढडी के साथ गठबंधन के लिए वंचित की ओर से विविध दावे सामने आ रहे थे। लेकिन बाद में वंचित ने अकेले बल पर चुनाव लड़ने का दावा किया। लोकसभा की 48 में से 35 सीट पर उम्मीदवार उतारे। 7 सीटों पर अन्य दल के उम्मीदवार को समर्थन दिया। लेकिन जहां समर्थन दिए वहां भी 4 सीट पर उम्मीदवार पराजित हो गए। चुनाव के पहले कस्तूरचंद पार्क में स्त्री मुक्ति परिषद के नाम पर सभा के माध्यम से आंबेडकर ने चुनाव तैयारी का ऐलान किया था। लेकिन चुनाव आरंभ होते ही स्थिति कुछ ऐसे बनी कि वंचित आघाडी चर्चा से बाहर होने लगी। नागपुर में वंचित ने कांग्रेस के उम्मीदवार को समर्थन दिया था। रामटेक में भाजपा कार्यकर्ता शंकर चहांदे को वंचित का उम्मीदवार घोषित किया। लेकिन बाद में निर्दलीय किशोर गजभिए को समर्थन दिया। गजभिये को 22 हजार के करीब मत मिले हैं। अन्य क्षेत्रों में वंचित उम्मीदवार अधिक प्रभाव नहीं दिखा पाए। अधिकतर को 10 हजार से 20 हजार तक ही मतदान मिले है।
विदर्भ में वंचित उम्मीदवारों को मिले मत
वर्धा- राजेंद्र सालुंख- 15,492
भंडारा-संजय केवट-24,858
बुलढाणा- वसंत मगर-98441
अकोला-प्रकाश आंबेडकर-2,76,747
गडचिरोली- हितेश मडावी- 15, 922
चंद्रपुर-राजेश बेले-21,980