किसानों की समस्या: आक्रामक तुपकर ने कहा - सीएम बंगले में घुसकर दिखाएंगे प्रतिकात्मक किसान आत्महत्या

  • किसान कर्जमुक्ति, फसल बीमा, सोयाबीन, कपास के दाम बढ़ाने की मांग
  • आक्रामक तुपकर ने उठाए किसानों के मुद्दे

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-20 14:53 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। किसान आत्महत्या थमने का नाम नहीं ले रही है। केंद्र और राज्य सरकार ने किसानों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। किसानों की समस्या पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने किसान नेता रविकांत तुपकर ने आक्रामक आंदोलन करने की पत्र परिषद में घोषणा की है। किसानों की मांगों को गंभीरता से नहीं लेने पर 23 अगस्त को किसानों के साथ मुख्यमंत्री के वर्षा बंगले में घुसकर किसान आत्महत्या का प्रात्याक्षिक दिखाने की चेतावनी दी। इससे पहले अरबी समुद्र में जलसमाधि आंदोलन, मंत्रालय पर कब्जा आंदोलन में हजारों समर्थकों के साथ मुंबई में जा धमके थे। भूतकाल के अनुभव से सबक लेकर यह आंदोलन भी उसी आक्रामकता होने की आशंका से शासन, प्रशासन में हड़कंप मचा है।

तुपकर ने किसानों की समस्याओं का मुद्दा उठाया, उन्होंने कहा कि राज्य में किसान आत्महत्या का सिलसिला जारी है। किसानों की आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक है। आसमानी संकट से किसानों का आर्थिक स्तर लगातार नीचे जा रहा है। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार की किसान विरोधी नीति पूरी तरह जिम्मेदार है। हर साल खाद, बीज, कीटनाशक के दाम बढ़ने से उत्पादन खर्च में वृद्धि हो रही है। किसानों की उपज के दाम जहां थे, वहीं है। प्राकृतिक आपदा, वन्यजीव फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। किसानों को पर्याप्त और समय पर नुकसान भरपाई नहीं मिल रही है। गत वर्ष खरीफ और रबी फसल का बीमा मार्च तक मिलना अपेक्षित था। अगस्त महीना खत्म होने की कगार पर है, लेकिन अभी तक बीमा की रकम नहीं मिली।

कृषि उपज को कम दाम और सरकार की गलत कृषि नीति के चलते किसानों पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है। कर्ज चुका नहीं पाने की चिंता से किसान आत्महत्या कर रहा है। किसानों की आत्महत्या पर रोक लगाने सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए। सरकार ने किसानों की समस्या को गंभीरता से नहीं लिया। किसानों के साथ मुख्यमंत्री के बंगले में घुसकर प्रतिकात्मक किसान आत्महत्या दिखाने की चेतावनी दी। पत्र परिषद में गजानन कावरखे, किरण ठाकरे, दयाल राऊत, अमित अढावू, सूर्या अडबाले, सूरज निभरते, श्याम अवथले, अतिष पलसकर, बालाजी मोरे, सतीष इडोले, चंद्रशेखर गवली, अजय घाड़गे, आकाश भोयर, प्रवीण कातरे, गौतम पोपटकर, मनोज नागपुरे, समीर सारजे, स्वप्नील कोठे, प्रफुल्ल उमरकर, कुंदन काले, पुरुषोत्तम देवतले आदि उपस्थित थे।

यह है मांगे..

किसानों की पूरी तरह कर्जमुक्ति, कृषि उपज को उत्पादन खर्च के आधार पर 50 फीसदी मुनाफा के सूत्र पर दाम, गत वर्ष खरीफ व रबी फसल बीमा भरनेवाले सभी किसानों को 100 फीसदी बीमा लाभ, गत वर्ष सोयाबीन व कपास के दाम में अंतर की देय रकम प्रति हेक्टेयर की सीमा हटाकर प्रति क्विंटल 3 हजार रुपए देने, इस वर्ष कपास को 12500 रुपए, सोयाबीन को 9000 रुपए प्रति क्विंटल दाम देने राज्य सरकार अभी से केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव भेजे, किसानी को उद्योग का दर्ज, चौबीस घंटे बिजली व पानी आपूर्ति, नई तकनीक व बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराएं। वन्यजीवों से फसल की सुरक्षा के लिए खेती को सौर ऊर्जा, तार कम्पाउंड की सुविधा दें। किसानों को नुकसान भरपाई की रकम में वृद्धि, फसल कर्ज आसानी से उपलब्ध कराने की व्यवस्था करें, महात्मा ज्योतिबा फुले कर्जमाफी योजना अंतर्गत नियमित कर्ज भरनेवाले, परंतु 50 हजार रुपए प्रोत्साहन अनुदान से वंचित किसानों को तत्काल अनुदान, धान को प्रति क्विंटल 2 हजार रुपए बोनस, संतरा, मोसंबी गिरने पर पंचनामे कर नुकसान भरपाई दें, कुएं और घरकुल योजना का अनुदान तत्काल देने, सिंंदेखेड़राजा से शेगांव भक्तिमार्ग तत्काल रद्द करें, किसानों की जमीनों का जबरदस्ती अधिग्रहण पर रोक लगाएं, कृषि स्नातकों के मंजूर 258 पदों का राज्यसेवा पूर्वपरीक्षा में समावेश आदि मांगों पर तत्काल ठोस कदम उठाने की तुपकर ने सरकार के सामने मांगें रखीं है।


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