नागपुर: सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर फिर 13.50 लाख की ठगी, 15 दिनों में दूसरा मामला

  • आरोपियों पर 15 दिन के भीतर बर्डी थाने में दूसरा मामला दर्ज
  • तीसरा प्रकरण भी दर्ज करने की तैयारी जारी
  • बेरोजगारों को फंसाने के लिए एजेंट भी रखे थे
  • असली नौकरी जैसा तामझाम किया

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-12 10:52 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा देकर बेरोजगारों से 14.50 लाख की ठगी करने वाले आरोपियों पर करीब पंद्रह दिन के भीतर सीताबर्डी थाने में दूसरा मामला दर्ज किया गया है। इन ठगों पर तीसरा मामला दर्ज करने की भी तैयारी की जा रही है। इस मामले में आरोपी में राजीव हीरास्वामी रेड्डी, निखारे ले-आउट, मानकापुर, मिर्जा वसीम बेग राशिद बेग, गुलशन नगर यवतमाल, सूरज राजकुमार घोरपड़े उसकी पत्नी सोनाली घोरपड़े, वर्धा जिला, शैलेश बाबाराव गोल्हे, महालक्ष्मी नगर, मानेवाड़ा, नागपुर, ज्ञानेश्वर सिर्सीकर, रोशन अड्यालकर और नीतेश कोठारी हैं। सभी आरोपी अभी भी फरार हैं।

असली नौकरी जैसा तामझाम किया

शुरुआती दौर में मेडिकल चेकअप कर इंटरव्यू लिया। बेरोजगारों को फांसने के लिए आरोपियों ने फर्जीवाड़े का तामझाम असली नौकरी जैसा किया। उन्हें फर्जी नियुक्ति पत्र भी थमाया। झांसे में आए मंगेश और उसके दो मित्रों ने आरोपियों को 13.50 लाख रुपए दिए, लेकिन अभी तक उन्हें नौकरी नहीं िमली है। आरोपियों ने अन्य कई बेरोजगारों के साथ भी ऐसा ही किया है और उनसे अब 14.50 लाख रुपए की ठगी करने का मामला उजागर हुआ है। इस मामले में भी बर्डी थाने में मामला दर्ज किया गया है। पुलिस को आरोपियों के खिलाफ और भी शिकायतें मिल रही हैं। पुलिस तीसरा प्रकरण भी दर्ज करने की तैयारी कर रही है।

बाबा ताज बिल्डिंग, धरमपेठ में है इंस्टीट्यूट

आरोपियों ने धरमपेठ क्षेत्र में बाबा ताज बिल्डिंग में सौंदर्य इंस्टीट्यूट एंड फाइनेंशियल सर्विसेस की आड़ में फर्जी सरकारी नौकरियां बांटने का अड्डा खोल रखा था। 1 फरवरी 2019 से 23 मार्च 2023 के बीच आरोपियों ने वर्धा जिले के हिंगनघाट तहसील निवासी मंगेश महादेवराव सावरे और उसके दो मित्रों को अंबाझरी स्थित आयुध निर्माणी में बड़े पद पर नौकरी लगाने का झांसा दिया और बदले में लाखों रुपए की मांग की। सरकारी नौकरी होने से तीनों बेरोजगार रुपए देने के लिए तैयार हो गए।

ठगी की रकम से निजी संपत्ति बनाई

ठगी की रकम से आरोपियों ने निजी संपती बना ली। नौकरी नहीं मिलने पर जब पीड़ितों ने आरोपियों से अपनी रकम वापस करने की मांग की तो उन्हें डरा-धमका रहे हैं। आरोपियों ने बेरोजगारों को फांसने के लिए एजेंट नियुक्त किए थे, जो बेरोजगारों को फांसकर फर्जी सरकारी नौकरी दिलाने के अड्डे पर ले जाते थे। बाद में उन्हें जाल में फंसाकर लाखों रुपए ऐंठ लिए जाते थे। इसके बदले में एजेंट को भी बड़ी रकम दी जाती थी।  

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