मुद्दा: ओबीसी का जाति प्रमाण-पत्र मिलने के बाद लाखों मराठा ईडब्ल्यूएस लाभ से होंगे वंचित
- कुणबी-मराठा व मराठा-कुणबी के 57 लाख अभिलेख मिलने का दावा
- ओबीसी को राज्य में 19 फीसदी आरक्षण , 350 से अधिक जातियां शामिल
- केंद्र सरकार में मराठा समाज खुले प्रवर्ग में है
डिजिटल डेस्क, नागपुर । सरकारी रिकार्ड में कुणबी-मराठा व मराठा-कुणबी के लगभग 57 लाख अभिलेख मिलने की पुष्टि होने के बाद राज्य सरकार ने उचित प्रक्रिया कर इन लोगों को ओबीसी का जाति प्रमाण-पत्र देने के निर्देश दिए हैं। ओबीसी का जाति प्रमाण-पत्र मिलने के बाद इन लोगों को राज्य में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) का लाभ नहीं मिल सकेगा।
ईडब्ल्यूएस को है 10% आरक्षण : राज्य में ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी आरक्षण है। आेबीसी, एससी, एसटी, एनटी व वीजेएनटी में नहीं आने वाली जातियों को ईडब्ल्यूएस का लाभ मिलता है। ईडब्ल्यूएस में जितनी जातियां शामिल हैं, उनमें सबसे ज्यादा संख्या मराठा समाज की है। यानी राज्य में ईडब्ल्यूएस का सबसे ज्यादा लाभ मराठा समाज को मिल रहा है। वहीं आेबीसी को राज्य में 19 फीसदी आरक्षण है और इसमें 350 से अधिक जातियां शामिल हैं।
केंद्र में मिलता रहेगा ईडब्ल्यूएस का लाभ : केंद्र सरकार में मराठा समाज खुले प्रवर्ग में है। खुले प्रवर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए ही ईडब्ल्यूएस है। ऐसे में केंद्र सरकार के अधीन आने वाले विभागों व कार्यालयों में मराठा समाज को ईडब्ल्यूएस का लाभ मिलता रहेगा।
सर्वे में मिला डेटा, नहीं हुआ क्रास चेक : आरक्षण देते समय हो सकती परेशानी : ओबीसी आयोग के निर्देश पर राज्य में मराठा समाज व खुले प्रवर्ग का आर्थिक, सामाजिक व शैक्षणिक पिछड़ेपन का सर्वे का काम पूरा हो गया। यह डेटा राज्य आेबीसी आयोग के पास पहुंच चुका है। सर्वे के दौरान जो डेटा मिला, उसे क्रास चेक करने की कोई व्यवस्था नहीं थी। संबंधितों ने जो जानकारी दी, वही जानकारी सॉफ्टवेयर में फीड की गई थी। राज्य ओबीसी आयोग को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजनी है, लेकिन यहां भी डेटा क्रास-चेक करने की अभी तक कोई व्यवस्था नहीं है।
दी जा सकती है चुनौती : मराठा व खुले प्रवर्ग के सर्वे के दौरान पूर्व विदर्भ में लाखों की संख्या में कुणबी समाज के लोग होने का पता चला, जबकि खुले व मराठा समाज का आंकड़ा लगभग 10 फीसदी निकला। लोगों ने जाति से लेकर घर, गाड़ी, संपत्ति, सामाजिक व शिक्षा संबंधी जो जानकारी दी , वह जस की तस फीड की गई। आेबीसी आयोग इस डेटा के आधार पर 15 फरवरी तक अपनी रिपोर्ट सरकार को भेजेगा। सरकार आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछड़े मराठा समाज को स्वतंत्र आरक्षण देने पर गंभीरता से विचार कर रही है। आरक्षण देते समय सरकार को परेशानी हो सकती है। डेटा क्रास चेक नहीं होने का कारण बताकर इसे चुनौती दी जा सकती है। बहरहाल आेबीसी आयोग के पास फिलहाल इस डेटा को क्रास चेक करने की कोई व्यवस्था नहीं है।