नागपुर हाईकोर्ट: रेलवे प्रशासन का शपथ-पत्र, कहा- सचिव को रियायतें रद्द करने का अधिकार है

  • रद्द 30 रियायतों को शुरू करने पर नहीं दिया जवाब
  • 7 फरवरी को अगली सुनवाई
  • फैसला नहीं लेने पर जनहित याचिका

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-19 12:28 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। काेरोना काल के दौरान रेलवे टिकट पर मिलने वाली 30 अलग-अलग श्रेणियों की रियायतें रद्द कर दी गई थीं। इस मामले में दाखिल जनहित याचिका में रेलवे प्रशासन ने शपथ-पत्र दायर करते हुए कोर्ट को बताया कि रेलवे बोर्ड के सचिव ने अध्यक्ष को रियायतें रद्द के बारे में सूचित करने के बाद ही फैसला लिया और रेलवे अधिनियम के तहत उन्हें ऐसा करने का अधिकार है।

फैसला नहीं लेने पर जनहित याचिका

इसके पहले नागपुर खंडपीठ ने रेलवे प्रशासन को आदेश दिया था कि रियायतें फिर से शुरू करने पर तीन महीने में फैसला लें, लेकिन इस पर कोई फैसला न होने के वजह से एड. सुंदीप बदाना ने यह जनहित याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार, कोरोना काल में रेलवे में भीड़ कम करने के मकसद से ये रियायतें बंद कर दी गई थीं। पहले रेलवे टिकट शुल्क पर 55 तरह की रियायतें दी जाती थीं।

कोरोना काल में रेलवे ने इनमें से 30 रियायतें बंद कर दीं। रेलवे ने इसके लिए 19 मार्च 2020 को आदेश जारी किया। इसमें दिव्यांग, मरीज, विधवा, बेरोजगार और कई अन्य लोगों को दी जाने वाली रियायतें शामिल थीं, जो रद्द कर दी गईं। अब कोरोना का डर खत्म हो चुका है और लॉकडाउन को भी काफी समय बीत चुका है। इसलिए इस याचिका के माध्यम से अनुरोध किया गया है कि इन सेवाओं को बहाल किया जाए।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने मौखिक आदेश देते हुए पूछा था कि रेलवे बोर्ड द्वारा रियायतें बंद करने का निर्णय रेलवे बोर्ड द्वारा लिए गए प्रस्ताव के अनुरूप लिया गया था, या यह महज एक प्रशासनिक आदेश था।

7 फरवरी को अगली सुनवाई

मामले पर न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई। नागपुर विभाग सेंट्रल रेलवे के सीनियर बोर्ड कमर्शियल मैनेजर ने शपथ-पत्र दायर करते हुए कोर्ट को बताया कि रियायतें रद्द करने का फैसला रेलवे बोर्ड के सचिव ने अध्यक्ष को सूचित करने के बाद लिया है। रेलवे अधिनियम की धारा 30 और 31 के तहत ऐसा करने का रेलवे बोर्ड के सचिव को अधिकार है। कोर्ट ने इस मामले में 7 फरवरी को अगली सुनवाई रखी है। याचिकाकर्ता एड. सुंदीप बदाना ने खुद पक्ष रखा।

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