महाराजबाग की घटना: हिरणों को दफनाने दो दिन बंद रखा टिकट काउंटर
अगर पुलिस कस्टडी में किसी की मौत होती तो लग जाता कस्टोडियल डेथ का चार्ज
डिजिटल डेस्क, नागपुर। संतरानगरी के महाराजबाग प्राणी संग्रहालय में बाढ़ में हिरणों की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। कई अधिकारी-कर्मचारी नप सकते हैं। हिरणों की मौत को बेहद गोपनीय रखा गया था, यही कारण है कि दो माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी किसी को घटना की भनक तक नहीं लगने दी गई। एक ऑडियो क्लिप के सामने आने पर अब यह मामला सुर्खियों में आ गया है।
भास्कर ने किया उजागर : दैनिक भास्कर ने इस मामले को उजागर किया, तो महाराजबाग प्राणी संग्रहालय के अधिकारी- कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, महाराजबाग के प्राणी संग्रहालय में हुई 15 हिरणों की मौत की बात महाराष्ट्र जू अथाॅरिटी कार्यालय तक पहुंच चुकी है।
दफन विधि गोपनीय रखी : चर्चा है कि हिरणों की मौत के बाद महाराजबाग प्राणी संग्रहालय के टिकट काउंटर को दो दिनों तक बंद रखा गया था, ताकि उन्हें दफनाने के समय संग्रहालय के अधिकारी-कर्मचारियों को कोई परेशानी न हो और हिरणों की मौत की खबर किसी को न लग सके।
उठने लगे सवाल : यहां तक कि पूरी जानकारी होने के बाद भी प्राणी संग्रहालय के अधिकारी-कर्मचारियों ने वरिष्ठ अधिकारियों तक बात नहीं पहुंचाई। जानकारों का कहना है कि अगर पुलिस की कस्टडी में किसी की मौत हो जाती है तो उसमें कस्टोडियल डेथ का मामला दर्ज कर लिया जाता है। जिन हिरणों की मौत हुई है, वह भी तो महाराजबाग प्राणी संग्रहालय में हिरनों के बाड़े में रहने पर हुई है। एक तरह से वन्यजीव भी तो महाराजबाग प्राणी संग्रहालय की कस्टडी में ही रखे गए हैं। उनकी जिम्मेदारी प्राणी संग्रहालय के जिम्मेदार अधिकारियों की थी।
जिम्मेदारों से जवाब-तलब हो सकती है : चर्चा है कि भारतीय केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण इस मामले से जुड़े जिम्मेदारों से जवाब तलब कर सकता है। प्राधिकरण के वन्य प्राणियों के मामले में नियम और कानून काफी प्रभावशाली हैं। विभाग के पास यह मामला पहुंचने की खबर है। भारतीय केंद्रीय चिडियाघर प्राधिकरण ने प्रकरण को गंभीरता से लिया तो महाराजबाग में अब तक जितने वन्यजीवों की मौत हुई है, उसका मुद्दा भी उठ सकता है।