आरटीआई से खुलासा: वीजा पर आए अफगानियों के बन गए आधार कार्ड, पुलिस के पास कोई भी रिकॉर्ड नहीं

  • अवैध आधार होने का संदेह
  • आरटीआई से जानकारी मांगी तो ढकेल रहे एक-दूसरे पर
  • पीआईएल दाखिल करने की तैयारी में एनजीओ

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-12 15:17 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. शहर में बाहरी देशों से आने वाले नागरिकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। विशेष यह कि वीजा पर आए नागरिक अब नागपुर में ही ‌अवैध तौर पर स्थायी हो गए हैं। मामला अफगानी नागरिकों से जुड़ा है। वीजा की मियाद खत्म होने के बाद ये नागपुर में डटे हैं। कुछ लोगों ने शरणार्थी सर्टिफिकेट के लिए भी आवेदन किया है। कुछ लोगों को शरणार्थी सर्टिफिकेट भी मिला है। शरणार्थी सर्टिफिकेट पर ही इन नागरिकों ने अपने आधार कार्ड बना लिए हैं। आधार कार्ड के आधार पर शहर में बड़े पैमाने पर प्रापर्टी भी खरीदने का दावा किया गया है।

संदेह : गिरोह कर रहा है मदद

दिघोरी, वाडी, गणेशपेठ सहित कुछ इलाकों में इनका ठिकाना है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर शरणार्थी होने के बावजूद इनके आधार कार्ड कैसे बन गए। जब तक उन्हें भारतीय नागरिकता नहीं मिलती, कोई भी भारतीय दस्तावेज वे बना नहीं सकते हैं। ऐसे में इनकी मदद में कोई बड़ा गिरोह काम करने का भी संदेह उठाया जा रहा है।

नहीं मिल सकी सही जानकारी

पुलिस, विशेष शाखा सहित पासपोर्ट कार्यालय से एक्शन एनजीओ संस्था के सचिन बिसेन ने सूचना अधिकार अंतर्गत वीजा प्राप्त अफगानी नागरिक, शरणार्थी और भारतीय नागरिकता हासिल करने वाले अफगानी नागरिकों की जानकारी मांगी थी, किन्तु किसी ने यह कहकर जवाब देना टाल दिया कि यह जानकारी अधिकार क्षेत्र से बाहर है और किसी ने यह कहकर मना कर दिया कि जानकारी गोपनीय और सुरक्षा से जुड़ी होने से उसे सार्वजनिक नहीं कर सकते। ऐसे में नागपुर शहर में कितने अवैध अफगानी हैं, कितने शरणार्थी हैं और कितनों ने भारतीय नागरिकता हासिल की, यह रहस्य बन गया है।


पुलिस नहीं करती हस्तक्षेप

विशेष यह कि पुलिस इन मामलों में कार्रवाई करने से बचती है। उन्हें डर रहता है कि अगर किसी अफगानी नागरिक पर मामला दर्ज कार्रवाई करनी पड़े और उन्हें वापस अपने देश भेजने की नौबत आई, तो वे भेज नहीं सकेगी। कानूनी प्रावधानों के तहत जबर्दस्ती उसे भारत में रोकना पड़ेगा। वापस भेजने में दिक्कतें आ सकती हैं। इसलिए पुलिस भी जान-बूझकर इस मामले में कार्रवाई करने से बचती है।

शुरुआत ऐसे होती है : एक समय शहर अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के पनाहगाह के तौर पर जाना जाता था। धीरे-धीरे अब शहर में अवैध अफगानी नागरिकों की संख्या बढ़ने का दावा किया जा रहा है। अफगानिस्तान में तालिबानियों की सत्ता आने के बाद बड़े पैमाने पर नागरिक दूसरे देशों में गए हैं। कुछ भारत में भी पहुंचे। दिल्ली और असम के जरिये यह नागपुर पहुंचते हैं। तीन महीने के वीजा पर ये नागपुर आते हैं। ऐसी जगह ढूंढते हैं, जहां इनकी परंपरा और संस्कृति और समान विचार वाले लोग हों। धीरे-धीरे पहचान बढ़ाकर ये बाद में वहीं स्थायी हो जाते हैं। ज्यादातर इनमें से शहर में घूमकर कंबल बेचने का व्यवसाय करते हैं।

भारतीय कानून को नहीं मानते

दिघोरी, गणेशपेठ, वाडी सहित अन्य जगहों पर ये बड़ी संख्या में मिल जाएंगे। कुछ स्थायी हो गए हैं, लेकिन यह भारतीय कानून नहीं मानते है। इनमें आपस में विवाद या मारपीट होने पर पुलिस में शिकायत नहीं करते हैं। अपनी पंचायत लगाकर विवादों को निपटा देते हैं। पिछले दिनों एक व्यक्ति को विवाद में बुरी तरह पीटा गया। जब वह व्यक्ति वाड़ी पुलिस में शिकायत करने पहुंचा तो उसे वापस लाया गया और पंचायत लगाकर मामला सुलझा गया। इसी तरह बच्चियों की भी कम उम्र में ये शादी करा देते हैं। बड़े शौक पालते हैं।

अवैध आधार होने का संदेह : एटीएस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फिलहाल कितने अफगानी नागरिक यहां हैं, इसका अभी आंकड़ा बताना मुश्किल है। लेकिन जहां तक शरणार्थियों के आधार कार्ड बनने का मामला है, तो हो सकता है कि ये अवैध तरीके यानी डुप्लिकेट बनाया है। शहर में कई डुप्लिकेट आधार कार्ड बनाकर देने वाले गिरोह सक्रिय हैं। इस मामले में और अधिक जानकारी लेकर आगे बता सकते हैं।

हुक डालकर लेते हैं बिजली : अन्य व्यवसाय में भी यह हाथ आजमाते हैं, लेकिन वीजा की मियाद खत्म होने के बावजूद वे जाते नहीं है। कुछ लोग मियाद बढ़ाने के लिए आवेदन करते हैं तो कुछ शरणार्थी के लिए। शरणार्थी का सर्टिफिकेट मिलने एक से डेढ़ साल लग जाता है। तब तक ये अवैध तरीके से नागपुर में रहते हैं। कुछ लोग स्वास्थ्य और व्यवसाय का बहाना बनाकर वीजा में बढ़ोतरी करते हैं। विशेष यह कि अब ये िकसी गिरोह को पकड़कर अपने आधार कार्ड भी बनवा रहे हैं। भास्कर को इस मामले में कुछ लोगों के दस्तावेज हाथ लगे हैं, जिसमें उनके पास शरणार्थी सर्टिफिकेट होने के बावजूद उन्होंने अपने आधार कार्ड भी बनवा लिए। आधार कार्ड के आधार पर कई बड़ी संपत्तियों की खरीदी कर शहर में स्थायी हो गए। सूत्रों पर यकीन किया जाए तो इनके घरों में बिजली तो है, लेकिन मीटर नहीं। सीधे ये हुक डालकर बिजली लेते हैं। किसी ने संपत्ति खरीदी करने के बाद उसके आसपास अन्य लोग भी बस जाते हैं। धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ने का दावा है।

पीआईएल दाखिल करने की तैयारी

सचिन बिसेन, एक्शन एनजीओ संस्था के मुताबिक इस मामले में सूचना के अधिकार अंतर्गत पुलिस, विशेष शाखा और पासपोर्ट कार्यालय से जानकारी मांगी गई। लेकिन किसी भी विभाग ने जानकारी नहीं दी। किसी ने गोपनीयता के नाम पर और किसी ने जानकारी नहीं होने के नाम पर सूचना देने से मना कर दिया है। ऐसे में शहर में अवैध गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है। इसे पीआईएल के माध्यम से कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। इसकी तैयारी की जा रही है।


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