उम्मीद: ब्लड कैंसर के मरीजों के लिए आशा की किरण है कार-टी, नागपुर में भी शीघ्र उपचार

  • ब्लड कैंसर का उपचार संभव होने की उम्मीद
  • फिलहाल मुंबई में चल रहा परीक्षण
  • नागपुर में भी शीघ्र प्रयोग की उम्मीद

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-20 12:05 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। । अकादमी ऑफ मेडिकल साइंसेस की तरफ से 21 जनवरी को ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन अपडेट्स पर कार्यशाला का आयोजन किया गया है ।  बता दें कि रक्त से संबंधित लिम्फोमा, मायलोमा, अप्लास्टिक एनिमिया जैसे कैंसर पर अब तक मूल कोशिका प्रत्यारोपण (बोन मैरो ट्रांसप्लांट) को ही आधुनिक उपचार पद्धति माना जाता है, लेकिन अब चिकित्सा शास्त्र में रक्त में समाहित रोग प्रतिकारक कार-टी कीशिका की रचना बदलकर ब्लड कैंसर का उपचार संभव होने की उम्मीद जागी है। मुंबई के टाटा अस्पताल के कुछ मरीजों पर इस पद्धति से उपचार परीक्षण शुरू है। नागपुर में भी इसके लिए कुछ कंपनियों से साझेदारी करने की दिशा में प्रयास शुरू है। ऐसा संकेत अकादमी ऑफ मेडिकल साइंसेस द्वारा आयोजित पत्र परिषद में दिया गया है।

विशेषज्ञ रखेंगे विचार : विकसित देशों में यह उपचार पद्धति सफल हो चुकी है, लेकिन वहां उपचार का खर्च काफी महंगा है। भारत में उसके मुकाबले कम खर्च होगा। इस अवसर पर अकादमी के अध्यक्ष डॉ. अजय अंबाडे, डॉ. अनुराधा रिधोरकर उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि अकादमी ऑफ मेडिकल साइंसेस की तरफ से  ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन अपडेट्स पर आयोजित कार्यशाला  में देशभर के विशेषज्ञ रक्त विकार के विविध पहलुओं व प्रगति पर जानकारी देंगे।

मर जाती हैं कैंसर की कोशिकाएं : ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन अपडेट्स कार्यशाला की जानकारी देने के लिए आयोजित पत्र परिषद में डॉ. हरीश वरभे ने बताया कि इंसानों की कलाई से स्वस्थ कोशिका लेकर खराब कोशिकाओं का उपचार किया जाता है। उसके बाद कार-टी उपचार पद्धति से कोशिका की रचना में बदलाव कर नई कोशिकाओं का प्रत्यारोपण कर उपचार होता है। इससे मरीज के शरीर की कैंसर की कोशिकाएं मर जाती हैं। यह अाधुनिक उपचार पद्धति पर फिलहाल मुंबई में परीक्षण चल रहा है। इसका केंद्र नागपुर में शुरू करने की दिशा में प्रयास शुरू है। उन्होंने बताया कि चार-पांच मरीजों पर उपचार हो चुका है। अभी इसके नतीजे आने बाकी हैं। कैंसर के मरीजों पर इस कारगर उपचार का नागपुर में भी सफल प्रयोग करने की दिशा में प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में इस पद्धति से कैंसर का सफल इलाज होकर मरीजों के पूरी तरह स्वस्थ होने की उम्मीद भी जागी है। 


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