सुनवाई: नागपुर के अंबाझरी बांध मामले पर कोर्ट ने जारी किया प्रधान सचिव को नोटिस

  • नाग नदी में हुए अतिक्रमण का मामला भी उजागर
  • मामले को लेकर जनहित याचिका दायर की गई
  • अवैध निर्माणों पर सवाल उठाया

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-15 13:10 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में अंबाझरी बांध की सुरक्षा को लेकर जनहित याचिका दायर की गई है। अंबाझरी तालाब के पास निर्मित प्रवाह में बाधा डाल रहे स्वामी विवेकानंद स्मारक के स्थानांतरण का मुद्दा अभी हल नहीं हुआ है। ऐसे में अब इसमें नाग नदी का अतिक्रमण भी जुड़ गया है, जो पानी के प्रवाह को बाधित करता है।

मामले पर शुक्रवार को हुई सुनवाई में मनपा द्वारा दायर की जानकारी में ठीक तरह से कार्रवाई नहीं करने की बात सामने आई, इसलिए कोर्ट ने सीधे नगर रचना विभाग के प्रधान सचिव को नोटिस जारी करते हुए जवाब दायर करने के आदेश दिए हैं। याचिका में आरोप है कि मनपा, नासुप्र और महामेट्रो ने अंबाझरी व नाग नदी परिसर में गलत निर्माण किया है। इससे पिछले साल सितंबर में परिसर में बाढ़ आई और हजारों लोगों को नुकसान हुआ। याचिकाकर्ता रामगोपाल बचुका, जयश्री बनसोड, नत्थूजी टिक्कस ने मामले की न्यायालयीन जांच की मांग करते हुए अंबाझरी तालाब और नाग नदी परिसर के अवैध निर्माणों पर सवाल उठाया है।

प्रशासन पर कसा तंज : पिछली सुनवाई में कोर्ट ने विवेकानंद स्मारक का स्थानांतरण करने समेत नाग नदी के प्रवाह में बाधा डालने वाले अन्य मामलों पर की गई कार्रवाई की जानकारी लिखित रूप में पेश करने को कहा था। मामले पर शुक्रवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष हुई सुनवाई में मनपा ने कोर्ट के समक्ष नाग नदी के नक्शे और तस्वीरें जैसी विभिन्न तकनीकी जानकारी प्रस्तुत की।

इस तस्वीर को देखने के दौरान कोर्ट की नजर नाग नदी के पास क्रेजी कैसल इलाके में हो रहे निर्माण पर पड़ी। इन तस्वीरों से साफ पता चलता है कि क्रेज़ी कैसल में नदी के किनारे निर्माण के कारण नदी का तल संकरा हो रहा है। इसके चलते हाई कोर्ट ने प्रशासन के कार्य पर तंज कसा। प्रशासन का कहना है कि तस्वीरों में दिख रहा निर्माण अतिक्रमण नहीं है। कोर्ट ने नदी तल की जल वहन क्षमता और वास्तव में धारा के माध्यम से कितना पानी बह रहा है, इसके बारे में लिखित जानकारी मांगी है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. तुषार मंडलेकर और राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता डॉ. बीरेंद्र सराफ ने पैरवी की।


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