विकास: दीक्षा भूमि के विकास के लिए 130 करोड़ का कार्यादेश जारी
वायएफसी-बीबीजी कंपनी को दिया काम
डिजिटल डेस्क, नागपुर। शेगांव मंदिर की तर्ज पर विकास योजना तैयार करते हुए दीक्षा भूमि को धार्मिक, आध्यात्मिक, शैक्षणिक, स्वास्थ्य सुविधाओं और पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की मांग करने वाली जनहित याचिका बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ में दाखिल है। मामले पर बुधवार को हुई सुनवाई में नागपुर महानगर प्रदेश विकास प्राधिकरण (एनएमआरडीए) ने कोर्ट में शपथ-पत्र दायर करते हुए कहा कि, दीक्षा भूमि के विकास के लिए राज्य सरकार ने 200 करोड़ रुपये की प्रशासनिक मंजूरी दी है। उसके के चलते हरियाणा गुरगांव के वायएफसी-बीबीजी कंपनी को काम दिया गया है साथ ही विकास कामों के लिए 130 करोड़ रुपए का कार्यादेश भी जारी किया है।
याचिका के माध्यम से मांग
एड. शैलेश नारनवरे ने यह जनहित याचिका नागपुर खंडपीठ में दायर की है। याचिका के अनुसार, डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धम्म की दीक्षा ली थी। इसलिए दीक्षा भूमि का नाम पूरे विश्व में है। हर साल धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के अवसर पर देश-विदेश से लाखों अनुयायी दीक्षाभूमि पर आते हैं। इस मौके पर अनुयायियों की भीड़ और उसकी तुलना में बुनियादी सुविधाओं की कमी को देखते हुए लोगों को काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। विशेष बात है कि दीक्षाभूमि को \"ए' पर्यटन का दर्जा प्राप्त है। इसलिए शेगांव मंदिर की तरह दीक्षाभूमि का भी विकास किया जाए, यह मांग याचिकाकर्ता ने की है।