मांग: रियायतें रद्द करने के जवाब पर कोर्ट नाराज , जानकारी गुमराह करने वाली
- 30 अलग-अलग श्रेणियों की रियायतें रद्द करने को लेकर जनहित याचिका
- कोरोना काल में रेलवे ने इनमें से 30 रियायतें बंद कर दीं
- याचिकाकर्ता ने रेल प्रशासन के जवाब पर आपत्ति जताई
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बाम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में काेरोना काल के दौरान रेलवे टिकट पर मिलने वाली 30 अलग-अलग श्रेणियों की रियायतें रद्द करने को लेकर जनहित याचिका दायर है। इस मामले में बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने रियायतें रद्द करने के रेल प्रशासन के जवाब पर नाराजगी जताई। साथ ही कोर्ट ने माैखिक तौर पर कहा कि, रेल प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी कोर्ट को गुमराह और आंखों में धूल झोंकने वाली है।
रेलवे ने दिया हवाला : नागपुर खंडपीठ में एड. संदीप बदाना ने यह जनहित याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार, कोरोना काल में रेलवे में भीड़ कम करने के मकसद से ये रियायतें बंद कर दी गई थीं। पहले रेलवे टिकट शुल्क पर 55 तरह की रियायतें दी जाती थीं। कोरोना काल में रेलवे ने इनमें से 30 रियायतें बंद कर दीं। रेलवे ने इसके लिए 19 मार्च 2020 को आदेश जारी किया। इसमें दिव्यांग, मरीज, विधवा, बेरोजगार और कई अन्य लोगों को दी जाने वाली रियायतें रद्द कर दी गईं। अब कोरोना का डर खत्म हो चुका है और लॉकडाउन को भी काफी समय बीत चुका है। इसलिए इस याचिका के माध्यम से अनुरोध किया गया है कि इन सेवाओं को बहाल किया जाए। पिछली सुनवाई में रेल प्रशासन ने शपथ-पत्र दायर करते हुए कोर्ट को बताया था कि रेलवे बोर्ड के सचिव ने अध्यक्ष को रियायतें रद्द के बारे में सूचित करने के बाद ही फैसला लिया और रेलवे अधिनियम के तहत उन्हें ऐसा करने का अधिकार है।
याचिकाकर्ता की आपत्ति : मामले पर बुधवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ने रेल प्रशासन के जवाब पर आपत्ति जताई। इसलिए कोर्ट ने रेल प्रशासन से सवाल किया कि, रियायतें रद्द करने का निर्णय किस अधिकार के तहत लिया गया है। इस पर रेल प्रशासन ठोस साक्ष्य नहीं दे पाया। इसलिए कोर्ट ने रेल प्रशासन के जवाब पर नाराजी जताई और संबंधित अधिकारी को गुरुवार को कोर्ट में उपस्थित होकर इस संबंध में विस्तृत जानकारी देने का मौखिक आदेश भी दिया।