परेशानी: ‘सरकार’ की जमीन पर सरकारी अड़ंगा
पीड़ित न जमीन बेच पा रहा और न ही उस पर कर्ज मिल रहा है
चंद्रशेखर पोलकोंडवार, नागपुर। शहर के एक किसान का उपनाम ‘सरकार’ होने का खामियाजा उसे भुगतना पड़ा रहा है। नागपुर तहसील अंतर्गत गुमथड़ा की 0.69 हेक्टेयर जमीन का यह धारक विगत कई वर्षों से जिलाधिकारी कार्यालय, तहसील कार्यालय, भूमि अभिलेख विभाग व दुय्यम निबंधक कार्यालय के चक्कर इसलिए काट रहा कि निजी खेत को रिकॉर्ड में सरकारी बताकर उसके मालिकाना हक पर ही प्रश्नचिह्न लगा दिया गया। किसान का उपनाम ‘सरकार’ होने की वजह से यह किसान न तो अपनी जमीन बेच पा रहा है, न ही उसे उस जमीन पर कर्ज मिल रहा है।
तहसीलदार का प्रमाणपत्र भी बेअसर : मनोज सरकार ने दैनिक भास्कर को बताया कि इस निजी जमीन पर मालिकाना हक संबंधी सभी दस्तावेज उसके पास उपलब्ध हैं। नागपुर ग्रामीण के तहसीलदार द्वारा इन दस्तावेजों की जांच कर प्रमाणपत्र जारी किया गया है। इस प्रमाणपत्र में स्पष्ट लिखा है कि मौजा गुमथला सर्वे क्र. 245 का धारक मनोज मनीपद सरकार है। इस प्रमाणपत्र के बावजूद जमीन का बिक्रीपत्र पंजीकृत नहीं हो पा रहा है।
यह है मामला : ऑनलाइन खेती खसरा क्र. 245 मौजा गुमथला नागपुर की तकरीबन 1.29 एकड़ (0.69 हे.आर) जमीन सदर निवासी डॉ. मनोज मनीपद सरकार ने वर्ष 2013 में चंद्रभागा पंचम जामगड़े से खरीदी थी। जमीन खरीदी के पश्चात डॉ. मनोज सरकार ने सरकारी रिकॉर्ड (7/12) में फेरफार क्र. 1013 अंतर्गत अपना नाम दर्ज कराया। इस नामांकन के दौरान ही सरकारी दस्तोवज में जमीन धारक ‘मनोज मनीपद सरकार’ अंकित हो गया। उपनाम ‘सरकार’ अंकित होते ही इस जमीन पर सरकारी अड़ंगा पैदा हो गया। अब मनोज सरकार जब भी जमीन बेचने का सौदा करता है तथा इस जमीन की रजिस्ट्री करने दुय्यम निबंधक कार्यालय में पहुंचता है, अधिकारी जमीन की रजिस्ट्री लगाने से यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि रिकॉर्ड में जमीन सरकार की दर्ज है अत: यह जमीन बेची नहीं जा सकती।