तफ्तीश: काली कमाई का बड़ा खेल, जांच में हुआ खुलासा, 450 करोड़ की कंपनी 10 लाख की निकली
- एनसीएलटी की रिपोर्ट में खुलासा
- भाजपा-कांग्रेस से लेकर शहर के कई उद्योगपतियों के नाम शामिल
- स्टील का व्यापार करने वाली कंपनी में स्टॉक के नाम पर एक रॉड भी नहीं मिली
सुनील हजारी , नागपुर। शहर की एक कंपनी जो काली कमाई को ठिकाने लगाने के लिए बनाई गई थी, जिसका सालाना 450 करोड़ का ट्रांजेक्शन था, जब एनसीएलटी ने इसकी जांच की, तो इसमें मात्र 10 लाख निकले। इसमें से पांच लाख तो केवल फर्नीचर की कीमत है और पांच का इनकम टैक्स रिफंड का था। बाकी सब कागजी जमा खर्च निकला। शहर में कांग्रेस से लेकर भाजपा के कई बड़े मंत्रियों से लेकर प्रदेश के ख्यात उद्योगपतियों ने अपनी काली कमाई को इसी कंपनी में खपाई थी। मेहाड़िया सेल्स ट्रेड कार्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड और उसकी चार सहायक कंपनियों ने एक साल में 1000 करोड़ का ट्रांजेक्शन दिखाया था। ‘दैनिक भास्कर’ के पास मौजूद एनसीएलटी की रिपोर्ट में इस फर्जीवाड़े से जुड़े कई खुलासे उजागर हुए हैं।
मनी लॉन्ड्रिंग के लिए बनाई थी फर्जी डमी कंपनियां : शहर में पंकज मेहाड़िया ने लोकेश जैन, कार्तिक जैन, बालमुकंुद केयाल के साथ मिलकर पांच डमी कंपनियां बनाई थीं। इसमें मेहाड़िया सेल्स ट्रेड कार्पोरेशन, मेहाड़िया सेल्स ट्रेड कार्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड, नंदलाल डी मेहाड़िया, लोकेश मेटेलिक्स, सद्गुरु इंटरप्राइजेज, नंद सन्स लॉजिस्टिक लिमिटेड, इन कंपनियों का मुख्य काम केवल कागजों पर ट्रंाजेक्शन दिखाकर लोगों की ब्लैक मनी को ह्वाइट करना था।
24 प्रतिशत रिटर्न का लालच देकर लिया पैसा : संबंधित कंपनी के संचालक एक तरफ दो नंबर का पैसा नंबर-1 में कर रहे थे। दूसरी तरफ कई आम व्यापारियों, सीए, उद्योगपतियों से कैश में उनकी रकम लेकर लोहे के व्यापार में लगाने के लिए ली और बदले में 24 प्रतिशत रिटर्न का वादा किया। शुरूआत में लोगों को यह रिटर्न भी दिया, मगर जब बात 100 करोड़ से भी पार चली गई, तो पैसों को ठिकाने लगाकर पंकज ने अपने को दिवालिया घोषित कर दिया और पांच में से एक कंपनी मेहाड़िया सेल्स ट्रेड कार्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ) में चली गई।
बैलेंस शीट में 104 करोड़ कंपनी को लेना बता रहे थे, कुछ नहीं मिला :एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ) एक अर्थ न्यायिक निकाय है, जो कंपनियों में होने वाले विवादों को निपटाती है, जिसमें उसके लेनदारों से लेकर देनदारों को भुगतान करती है। इसमें कंपनी का मूल्यांकन कर उसकी देनदारी चुकाई जाती है। मेहाड़िया सेल्स ट्रेड कार्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड का सालाना टर्नओवर 450 करोड़ था, जब वह दिवालिया हुई तो कागजों पर 104 करोड़ की लेनदारी दिखा रही कंपनी का मूल्यांकन था, लेकिन जब इसमें हुए सौदों की पड़ताल की गई, तो सब बोगस निकले। मतलब करोड़ों का ट्रांजेक्शन केवल कागजों तक ही सीमित था। 104 करोड़ की कंपनी में मात्र 10 लाख एनसीएलटी को मिले। इसमें से पांच लाख का फर्नीचर था और 5 लाख रुपए इनकम टैक्स रिटर्न के आए हुए थे। यानी सब कुछ फर्जी।
जो कंपनी स्टील खरीदने-बेचने का काम करती थी, उसमें स्टील का टुकड़ा भी नहीं मिला : इसमें सबसे खास बात यह है कि मेहाड़िया सेल्स ट्रेड कार्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का मुख्य काम स्टील खरीदना और बेचना था। एनसीएलटी को इस पूरी कंपनी के स्टॉक के रूप में लोहे की एक रॉड भी नहीं मिली।
शहर के बड़े-बड़े घरानों ने लोन लेना दिखाया : पंकज की कंपनियों में शहर के बड़े-बड़े घराने, जो अपनी अरबों रुपए की संपत्ति के लिए पहचाने जाते हैं, वह पंकज मेहाड़िया की कंपनियों से करोड़ों रुपए लोन लेना दिखा रहे हैं। दरअसल, हकीकत में पंकज को यह घराने अपनी कॉली कमाई कैश में दिया करते थे, जिसके बदले वह चेक लेकर उसे पंकज द्वारा लोन के रूप में दिखा देते थे। पंकज अपनी फर्जी एंट्रियों के जरिए इन कंपनियों में स्टील खरीदना-बेचना बता देता था। हालांकि सब कुछ कागजों पर ही होता था।