नागपुर: मेयो और मेडिकल अस्पताल में सर्पदंश पीड़ित 77 लोगों को मिल सका है जीवनदान
- वन्यजीव सोसायटी की सतर्कता
- मिला समय पर उपचार
- सर्पदंश पीड़ित 77 लोगों को जीवन
डिजिटल डेस्क, नागपुर। सालभर में सर्पदंश का शिकार हो चुके 80 में से 77 लोगों को जीवन मिला। उनका उपचार मेयो व मेडिकल अस्पताल में हुआ। 3 लोगों की मृत्यु हुई। वन्यजीव सोसायटी की सतर्कता से पीड़ितों का उपचार संभव हो पाया।
कुल 80 पीड़ितों में से गई तीन की जान
साल 2023 में 80 लोग सर्पदंश का शिकार हुए। इन पीड़ितों को वन्यजीव सोसायटी ने दो सरकारी अस्पतालों में भर्ती किया था। इन पीड़ितों को शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) और इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेयो) में भर्ती किया गया था। इनमें से 77 लोगों को उपचार के बाद जीवन मिला है। वही 3 लोगों की अस्पताल तक पहुंचने में विलंब होने से मृत्यु हो गयी।
मृतकों में 5 साल की बच्ची समेत 63 साल के बुजुर्ग
मृतकों में 5 साल की बच्ची समेत 63 साल के बुजुर्ग का समावेश है। सर्पदंश के अधिकतर मामले ग्रामीण क्षेत्र थे। वाइल्ड लाइफ वेलफेयर सोसायटी के नितीश भांदककर, गौरांग वायकर, राकेश भोयर, साहिल शरणागत, सौरभ अस्वार, प्रवीण टुले आदि ने सर्पदंश की सूचना मिलते ही तुरंत भागदौड़ कर लोगों की जान बचाने में मदद की।
अधिकांश पीड़ित वाइपर व नाग के दंश का शिकार हुए
उन्होंने पीड़ितों को अस्पताल ले जाने से लेकर डॉक्टरों से उपचार करवाने तक सभी तरह का सहयोग किया। सर्पदंश के शिकार हुए लोगों को वाइपर, मण्यार, नाग, फुरसे आदि प्रजाति के सापों ने काट लिया था। वाइपर ने 42 को, मण्यार ने 8 को, नाग ने 29 को और फुरसे ने 1 को काटा था। 80 में से 77 लोग स्वस्थ हो पाए थे।
ध्यान देने वाली बात
जहरीले सांपों के काटने से भारत में हर साल 58,000 से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। ऐसे में रोगी को इलाज की जरूरत होगी है। झोलाछाप या तांत्रिक के पास क्यों नहीं ले जाना चाहिए। समय सबसे महत्वपूर्ण होता है, यही कारण है कि सर्पदंश के बाद पहले घंटे को 'द गोल्डन ऑवर' के रूप में जाना जाता है, जब सही उपचार से लोगों की जान बचाई जा सकती है।