हाईकोर्ट: रांग साइड के 265 मामले दर्ज, अबतक 35 करोड़ रुपए का चालान है बकाया

  • चालान वसूलने में तकनीकी मदद लें
  • पहले काेर्ट लगा चुका है फटकार
  • 35 करोड़ रुपए का चालान बकाया है

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-22 14:23 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. शहर में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की गई थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से विपरीत दिशा में चलने वाले वाहन चालकों के खिलाफ उठाए गए कदमों के बारे में पूछा था। इस पर याचिकाकर्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि, मार्च माह के सोलह दिनों में विपरीत दिशा में वाहन चलाने वाले वाहन चालकों के खिलाफ पुलिस ने 265 मामले दर्ज किए हैं।

पहले काेर्ट लगा चुका है फटकार

एड. संदीप बदाना ने यह जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में दाभा रिंग रोड, जगदीश नगर, गोरेवाड़ा रिंग रोड की समस्याओं को लेकर सुरक्षात्मक कदम उठाने की मांग की गई थी। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने मौखिक तौर पर कहा था कि एक ओर शहर के नागरिकों द्वारा यातायात नियमों का धड़ल्ले से उल्लंघन किया जा रहा है। दूसरी ओर पुलिस केवल मूकर्दशक बनी है। साथ ही कोर्ट ने विपरीत दिशा में गाड़ी चलाने के मुद्दे पर फटकार लगाते हुए कहा था कि, पुलिस को सिर्फ चालान फाड़ने और जुर्माना वसूलने में ही दिलचस्पी है।

साथ ही काेर्ट ने यह भी सवाल किया था कि रांग साइड वाहन चलाकर यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों से निपटने की क्या योजना है? इस पर यातायात पुलिस विभाग को शपथपत्र दायर करने के लिए कहा था। इसके अलावा कोर्ट ने याचिकाकर्ता को भी उपाययोजनाओं पर जानकारी पेश करने के निर्देश दिए थे।

चालान वसूलने में तकनीकी मदद लें

निर्देशानुसार याचिकाकर्ता ने कोर्ट में प्रस्तुत की जानकारी के अनुसार यातायात पुलिस ने विपरीत दिशा में वाहन चलाने वाले वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। याचिकाकर्ता ने विपरीत दिशा में गाड़ी चलाने वालों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 279 के तहत मामला दर्ज करने की सलाह दी। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि इस धारा के तहत मामला दर्ज करने से विपरीत दिशा में गाड़ी चलाने वालों के खिलाफ न्यायिक कार्रवाई होगी और यह समस्या दूर करने में मदद होगी। वहीं शहर में अब भी करीब 35 करोड़ रुपए का चालान बकाया है।

याचिकाकर्ता ने यह भी सुझाव दिया कि, परिवहन विभाग चालान वसूलने के लिए तकनीकी मदद ले। हाई कोर्ट ने परिवहन विभाग को सुझावों पर विचार करने का मौखिक आदेश दिया। साथ ही कोर्ट ने याचिका के सभी मुद्दे सुलझ जाने के कारण याचिका का निपटारा कर दिया।

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