खतरनाक...: 18 साल से कम आयु के 31 फीसदी से अधिक बच्चों में मुख कैंसर के लक्षण
80 गांवों में सर्वेक्षण, 8306 सैंपल, 33 प्रकार की जांच में बड़ा खुलासा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। विदर्भ के 80 चिकित्सा महाविद्यालयों के 300 विद्यार्थियों की 22 टीम ने ग्रामीण व आदिवासियों के दुर्गम क्षेत्रों में सर्वेक्षण किया। उन्होंने 80 गावों में जाकर 8306 लोगों के सैंपल जमा किये। उन सैंपलों में रक्त, लार समेत अन्य अन्य जरूरी सैंपलों का समावेश था। सैंपलों की 33 प्रकार की जांच की गई। जांच के बाद 18 साल से कम आयु वर्ग के 31.6 फीसदी बच्चों में मुख कैंसर के लक्षण दिखाई दिये हैं। इसके अलावा 37.5 फीसदी महिला व पुरुषों में यही लक्षण दिखाए दिए हैं। इनमें 34 फीसदी धूम्रपान व मद्यपान के शौकीन हैं। विद्यार्थियों को माता-पिता के साथ बच्चे भी धूम्रपान करते व गुटखा व तंबाकू, खर्रा खाते दिखाई दिये। ऐसा एकल विद्यालय के सुधीर दिवे ने पत्रपरिषद में बताया। उन्होंने बताया कि यहां सिकलसेल का प्रमाण अधिक पाया गया है। इसके अलावा उच्च रक्तदाब व मोटापा की बीमारी भी है। इसलिए सैंपलों को महाराष्ट्र आरोग्य विज्ञान विद्यापीठ की जेनेटिक लैब में भेजे गए हैं।
योजना अंतर्गत अतिदुर्गम क्षेत्र में किया जा रहा सर्वेक्षण : विदर्भ के अतिदुर्गम क्षेत्र में सर्वाधिक सिकलसेल, मुख कैंसर के प्राथमिक लक्षण, उच्च रक्तदाब, मोटापा आदि बीमारियां पाई गई हैं। मंगलवार को विद्यापीठ की कुलगुरु लेफ्टिनंेट जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ. माधुरी कानेटकर ने विविध विषयों को लेकर चलाए जा रहे ब्लॉसम प्रकल्प के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि विद्यापीठ के अलावा आदिवासी विकास विभाग, लक्ष्मणराव मानकर ट्रस्ट (एकल विद्यालय) के संयुक्त तत्वाधान में प्रकल्प चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत अतिदुर्गम ग्रामीण व आदिवासियों का स्वास्थ्य सर्वेक्षण किया जा रहा है। इसका पहला चरण पूरा हो चुका है। इस अवसर पर विद्यापीठ व्यवस्थापन समिति की सदस्य डॉ. मनीषा कोठेकर, केंद्र समन्वयक डॉ. संजीव चौधरी, प्रकल्प अधिकारी डॉ. दिलीप गोडे, डॉ. सावजी, डॉ. चेतन खत्री, विद्यालय के सुधीर दिवे उपस्थित थे।
नीति-नियम तैयार करने समन्वय, मिलेगी दिशा : ब्लॉसम प्रकल्प के कारण विद्यार्थियों को महाविद्यालयीन शिक्षा के साथ बाहरी अनुभव मिला है। इसकी रिपोर्ट विशेषज्ञों की समिति को सौंपी जाने वाली है। इस रिपोर्ट के आधार पर उनकी सलाह मांगी जाएगी। इसके बाद राज्यपाल को रिपोर्ट भेजी जाने वाली है, ताकि सरकार इस रिपोर्ट के आधार पर स्वास्थ्य विषयक सकारात्मक नीति-नियम तैयार कर सके। कानेटकर ने बताया कि महाराष्ट्र राज्य आरोग्य विज्ञान विद्यापीठ और आईआईटी मुंबई समेत राज्य सरकार के गृह विभाग, स्वास्थ्य विभाग, नियोजन विभाग आदि की सहभागिता से संगम नामक संस्था स्थापित की गई है। इन सभी के समन्वय से समाज हित में सरकार को नीति-नियम तैयार करने के लिए दिशा मिलेगी।