नागपुर: राज्य में 194 उपजिलाधिकारी 17 साल से पदोन्नति नहीं
- वर्ष 2006 से सेवा वरीयता सूची जारी नहीं
- 194 उपजिलाधिकारी 17 साल से पदोन्नति नहीं
डिजिटल डेस्क, नागपुर. साल 2007 में उपजिलाधिकारी पद पर चयन श्रेणी के माध्यम से नियुक्त उपजिलाधिकारी उसी पद पर कार्यरत हैं। 17 साल में उन्हें पदोन्नति नहीं मिली है। सरकार की लेटलतीफी से अन्य संवर्ग के 441 अधिकारियों की पदोन्नति का पेंच फंसा हुआ है। उसमें नागपुर विभाग के 30 अधिकारियों का समावेश है। इसे लेकर अधिकारियों में रोष है।
वर्ष 2006 से सेवा वरीयता सूची जारी नहीं
उपजिलाधिकारी श्रेणी का सेवा प्रवेश, नियमितिकरण व सेवा वरीयता तय करने साल 1977 का नियम लागू है। सेवा प्रवेश नियम 14 के अनुसार उपजिलाधिकारी पद की सेवा वरीयता सूची हर साल जारी करना अनिवार्य है। हैरत यह है कि, वर्ष 2006 से अभी तक राज्य सरकार ने सेवा वरीतया सूची जारी नहीं की है। वर्ष 2007 में लोकसेवा आयोग के माध्यम से सेवा में दाखिल हुए 100 से अधिक उपजिलाधिकारी पदोन्नति के लिए पात्र हैं।
इनकी भी सांसें अटकीं
पदोन्नति नहीं मिलने से 441 अधिकारियों की सांसें अटकी हैं, जिसमें चयन श्रेणी उपजिलाधिकारी 194, उपजिलाधिकारी 71, तहसीलदार 71, अपर जिलाधिकारी 59, चयन श्रेणी अपर जिलाधिकारी स्तर के 46 अधिकारियों का समावेश है।
उपजिलाधिकारी पद पर चयन नहीं हो पाए कम अंक प्राप्त करनेवाले अन्य विभाग में दाखिल हुए अधिकारियों को पदोन्नति का लाभ मिल चुका है। उनमें से कुछ अधिकारियों को 2-2 पदोन्नति मिलीं। अनुभव में कनिष्ठ तथा परीक्षा में कम अंक मिलकर भी अन्य विभाग के अधिकारियों को पदोन्नति का लाभ मिलने से उपजिलाधिकारियों को उनके सामने बैठना पड़ रहा है। पदोन्नति से वंचित उपजिलाधिकारियों को यह बात खलने से उनमें असंतोष बढ़ रहा है। पदोन्नति पर कोई भी अदालती ‘स्टे’ नहीं रहने पर भी राज्य सरकार गंभीरता से नहीं ले रही है। अधिकारियों को दुविधा का सामना करना पड़ रहा है।