अनदेखी: करोड़ों रुपए की इमारत खड़ी तो कर दी लेकिन लाइब्रेरी चलाने में सक्षम ही नहीं

  • एनआईटी ने पालकत्व देने के लिए प्रकाशित किया निविदा का विज्ञापन
  • 15 साल पहले किया निर्मित , करोड़ों के खर्च से निर्माण
  • अब समाज कल्याण विभाग के सुपुर्द करने की मांग

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-18 10:37 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर सुधार प्रन्यास (एनआईटी) ने 15 साल पहले बिनाकी ले-आउट, खसरा क्रमांक 90-93 पंचवटी नगर में करोड़ों की लागत से लाइब्रेरी के लिए दो मंजिला इमारत खड़ी कर दी। दलित बस्ती सुधार याेजना से इमारत का निर्माण किया गया। इमारत बनकर तैयार होने के बाद ताला लगा दिया। अब लाइब्रेरी का पालकत्व किसी संस्था को देने के लिए विज्ञापन प्रसिद्ध करने के निर्देश नासुप्र के संबंधित विभागीय कार्यालय को दिए हैं। स्थानीय नागरिकों ने उसका विरोध किया। नासुप्र लाइब्रेरी चलाने के लिए सक्षम नहीं है, तो उसे समाज कल्याण विभाग के सुपुर्द करने की मांग की है। नासुप्र को यह भी मंजूर नहीं है।

जिम्मेदारों की नीयत में खोट : इमारत निर्माण पर करोड़ों और मरम्मत पर लाखों रुपए खर्च कर दिए। उस इमारत में लाइब्रेरी चलाने के लिए निजी संस्था को पालकत्व देने की तलाश किए जाने से नासुप्र के जिम्मेदारों की नीयत में खोट आने के कयास लगाए जा रहे हैं।

ज्ञान से वंचित रखने का दांव : बिनाकी परिसर में सार्वजनिक लाइब्रेरी सुविधा नहीं है। इस परिसर में बहुसंख्या गरीब रहते हैं। निजी हाथों में लाइब्रेरी सौंपकर गरीब विद्यार्थियों को ज्ञान से वंचित रखने का दांव चलने की भावना स्थानीय नागरिकों के दिल में बस रही है।

खंडहर हो गई इमारत : इमारत 15 साल पहले बनकर तैयार हो गई। उसे उपयोग में नहीं लाने पर खंडहर हो गई। उसकी मरम्मत के लिए फिर 15 लाख रुपए मंजूर किए। 4 महीने पहले मरम्मत पूरी हो चुकी है। दलित बस्ती सुधार योजना से इमारत का निर्माण और दुरुस्ती पर खर्च किया गया।

प्रशासन के कान में जूं नहीं रेंगी : गत पांच साल से लाइब्रेरी खोलने के लिए लगातार पत्राचार कर रहा हूं। प्रशासन के कान में जूंू नहीं रेंगी। नासुप्र चलाने के लिए सक्षम नहीं है तो समाज कल्याण विभाग या मनपा को सौंपने का सुझाव दिया, लेकिन अपनी इमारत दूसरे विभाग को सौंपने से मना किया। अब उसी को निजी हाथ में सौपने की कवायद चल रही है। नासुप्र के नापाक इरादों को सफल नहीं होने देने का स्थानीय नागरिकों ने संकल्प लिया है। देवानंद उके, स्थानीय समाजसेवक

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