नागपुर: गोरेवाड़ा बचाव केन्द्र से 15 बाघ गुजरात हुए शिफ्ट, बढ़ी संख्या तो लिया फैसला
- 15 बाघों को एकसाथ गुजरात के जामनगर शिफ्ट किया
- बाघों की संख्या क्षमता से ज्यादा होने के कारण प्रशासन ने निर्णय लिया
डिजिटल डेस्क, नागपुर. गोरेवाड़ा बचाव केन्द्र से एक नहीं बल्कि 15 बाघों को एकसाथ गुजरात के जामनगर शिफ्ट किया गया है। यहां बाघों की संख्या क्षमता से ज्यादा होने के कारण प्रशासन ने यह निर्णय लिया। बताया गया कि, बाघों को जामनगर के एक बचाव केन्द्र में पहुंचाया गया है। जहां उन्हें रखने की सुविधा यहां से बेहतर है। महाराष्ट्र में बाघों की संख्या 4 सौ पार हो गई है। जिसमें केवल विदर्भ में ही 3 सौ से ज्यादा बाघ मौजूद हैं। जंगल की कमी से बाघ रिहायशी इलाकों में निकल जाते हैं। तो इंसान भी जंगली क्षेत्रों में हस्तक्षेप कर रहे हैं। जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति पैदा हो रही है। ऐसे में इंसानों के लिए घातक बनने वाले बाघों को पकड़कर गोरेवाड़ा बचाव केन्द्र में लाया जाता है। जहां लंबे समय तक रखना पड़ता है।
पूरे विदर्भ से घायल वन्यजीवों को लाकर यहां उपचार किया जाता है। सभी के लिए 10 से 11 स्वतंत्र पिंजरे बनाए गए हैं। इन पिंजरों में वन्यजीवों की हैबिट को देखते हुए संरचना की गई है, लेकिन इन दिनों बाघों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। जिससे पिंजरों से तीन गुना ज्यादा बाघ यहां आ गए, ऐसे में इन्हें भालू और तेंदुए के पिंजरों में शिफ्ट करना पड़ा। जो बाघों की सर्वाइवल के लिए मुश्किल भी हो रहा था। गत सप्ताह तक यहां कुल 31 बाघ थे। जिन्हें रख पाना मुश्किल हो रहा था, इसे देखते हुए जू प्रशासन की ओर से वरिष्ठ स्तर पर बाघों को शिफ्ट करने की मांग की गई थी। जिसे मंजूर किया गया। इसके बाद गुजरात के एक रेस्कयू सेंटर में 15 बाघों को भेजा गया है। ऐसे में अब जू में 16 ही बाघ बचे हैं।
हर महीने आ रहा एक बाघ, उम्रकैद की तरह काट रहे थे दिन
एस. भागवत, व्यवस्थापक, गोरेवाड़ा प्रकल्प के मुताबिक 15 बाघों को गत सप्ताह गुजरात भेजा गया है। इंसानों पर हमला करने वाले 29 बाघ उम्रकैद काट रहे थे। इनका जीवन यहीं बीत रहा था। प्रशासन के अनुसार इनमें सभी बाघ आक्रामक नहीं थे। कई बाघ विपरित परिस्थिति के कारण इंसानों को मारने का कारण बने थे। ऐसे में यह बाघ वर्तमान स्थिति में शांत रहते थे। ऐसे कुछ बाघों की सूची केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण विभाग को भेजी गई थी। जिन्हें शिफ्ट करने की अनुमति मिल गई थी।