सुविधा: तृतीयपंथी विद्यार्थियों की पूरी फीस भरेंगे विश्वविद्यालय
- ऑडियो विजुअल तरीके से परीक्षा पर करें विचार
- तृतीयपंथी विद्यार्थियों की पूरी फीस भरेंगे विश्वविद्यालय
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के विश्वविद्यालयों और उनसे संबंधित महाविद्यालयों में पढ़ने वाले तृतीयपंथी विद्यार्थियों की पूरी फीस संबंधित विश्वविद्यालय भरेंगे। राज्य के उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटील ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि तृतीयपंथी विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से यह फैसला किया गया है। दरअसल मुंबई स्थित डॉ होमी भाभा स्टेट यूनिवर्सिटी में पाटील की अध्यक्षता में नई शिक्षा नीति लागू करने के मुद्दे पर एक उच्च स्तरीय बैठक हुई जिसमें उन्होंने कुलपतियों से आग्रह किया कि वे तृतीयपंथी विद्यार्थियों की पूरी फीस विश्वविद्यालयों की स्वनिधि से भरें। इस ज्यादातर कुलपतियों ने स्वीकार कर लिया और बहुमत से तृतीयपंथी विद्यार्थियों की फीस विश्वविद्यालय द्वारा भरे जाने का फैसला हो गया और तृतीयपंथी विद्यार्थियों के लिए मुफ्त उच्च शिक्षा का रास्ता साफ हो गया। बैठक में पाटील ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से कहा कि वे नई शिक्षा नीति लागू करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर जोर दें साथ ही इसके लिए समयबद्ध कार्यक्रम बनाए जिससे विद्यार्थियों का नुकसान न हो। बैठक में पाटील ने नैक मूल्यांकन, अंत:विषय पाठ्यक्रम, कौशल उम्मुख पाठ्यक्रम, उद्यमियों की भागीदारी, क्लस्टर कॉलेज, मातृभाषा में शिक्षा, सीबीसीएस पद्धति, एबीसी संकाय भर्ती, प्रशिक्षण, साइबर अपराध, शैक्षिक समयसारिणी और ग्रेडिंग प्रणाली को लेकर सटीक योजना बनाने पर जोर दिया। बैठक में उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव विकासचंद्र रस्तोगी, उच्च शिक्षा निदेशक शैलेंद्र देवलाणकर, तकनीकी शिक्षा निदेशक विनोद मोहितकर समेत कई गणमान्य मौजूद थे। मंत्री पाटील ने विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि उनके यहां पढ़ने वाले 18 वर्ष के ज्यादा आयु के सभी विद्यार्थियों के नाम मतदाता सूची में दर्ज हों।
ऑडियो विजुअल तरीके से परीक्षा पर करें विचार
मंत्री पाटील ने बैठक के दौरान कहा कि फेल होने के डर के चलते कई विद्यार्थी परीक्षा से ही दूर भागते हैं। ऐसे में विश्वविद्यालयों को इस बात पर विचार करना चाहिए कि क्या उद्योगों की मदद से वहां काम करने वाले युवाओं की ऑडियो विजुअल परीक्षा लेकर उन्हें प्रमाणपत्र दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे कोर्स की सूची तैयार की जा सकती है जिसमें लिखित परीक्षा की जरूरत न हो।