डॉक्टरों पर बेरोजगारी की गाज- बांड सेवा के लिए सीटें कम, डॉक्टर ज्यादा
- डॉक्टरी पास करने पर भी प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे 1800 से अधिक डॉक्टर्स
- डॉक्टरों पर बेरोजगारी की गाज
- बांड सेवा के लिए सीटें कम, डॉक्टर ज्यादा
डिजिटल डेस्क, मुंबई, मोफीद खान. सरकारी अस्पतालों में पहले से ही डॉक्टरों की कमी है, इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग इसे दूर करने में कोई रुचि नहीं ले रहा है। इसका ताजा उदाहरण पोस्ट ग्रेजुएशन पास करनेवाले डॉक्टरों के बांड सेवा में देखने को मिल रहा है। सरकारी मेडिकल कॉलेज से विभिन्न रोगों में डिग्री हासिल करनेवाले 1800 से अधिक डॉक्टर्स को नवंबर तक बेरोजगार रहना पड़ सकता है। इसकी पीछे की प्रमुख वजह राज्य के चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान निदेशालय (डीएमईआर) द्वारा सेवा के लिए पात्र उम्मीदवारों और रिक्तियों की सूची में भारी अंतर बताया जा रहा है। इस सूची के हिसाब से कई विभागों में सीटों से ज्यादा पात्र उम्मीदवार हैं। इसे लेकर बीएमसी मार्ड ने राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ को पत्र भी लिखा है।
सरकारी मेडिकल कॉलेज से पोस्ट ग्रेजुएशन एमडी या एमएस की परीक्षा पास करने के बाद डॉक्टरों को एक वर्ष के लिए सरकारी मेडिकल कॉलेज या जिला अस्पतालों में अपनी सेवा देना अनिवार्य है। डीएमईआर की ओर से पोस्ट ग्रेजुएशन पास करनेवाले डॉक्टरों को उनके गुणों के आधार पर अस्पताल और श्रेणी आवंटित की जाती है। बांड सेवा में इन डॉक्टरों को सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स, मेडिकल अफसर और ट्यूटर के रूप में भूमिका निभानी होती है।
बढ़ी हुई सीटों को समाहित नहीं किया गया
रेजिडेंट डॉक्टर की संगठन बीएमसी मार्ड के सलाहकार डॉ. प्रवीण ढगे ने बताया कि मेरिट में आनेवाले डॉक्टर्स को सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स की पोस्ट आवंटित की जाती है, जबकि मेरिट के बाद अन्य डॉक्टरों को वरिष्ठ मेडिकल अफसर और ट्यूटर आदि की पोस्ट दी जाती है। उन्होंने बताया कि राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेज में करीब 1000 सीनियर रेजिडेंट की पोस्ट थी, जिसे बढाने की मांग पर डॉक्टरों द्वारा किये गए आंदोलन से इस वर्ष जनवरी में राज्य सरकार ने 1432 सीटें बढ़ाने का आदेश भी जारी किया था, लेकिन हाल ही में जारी डीएमईआर की सूची में बढ़ी हुई सीटों को समाहित नहीं किया गया।
सभी सीटों पर पूर्व के डॉक्टर है कार्यरत
डॉ. प्रवीण ढगे, बीएमसी मार्ड के सलाहकार के मुताबिक सभी 1000 पद पर डॉक्टर्स बने हुए हैं। इनकी बांड सेवा और एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट की अवधि अक्टूबर से नवंबर महीने में पूरी हो रही है। कोविड काल में पोस्ट ग्रेजुएशन पास हुए डॉक्टरों को बांड सेवा अक्टूबर-महीने में दी गई थी और तभी से यह समस्या बनी हुई है। अगर इस साल बढ़ी हुई सीटें सूची में समाहित की गई होतीं, तो यह समस्या उत्पन्न नहीं होती।
वित्त विभाग से नहीं मिली अनुमति
निदेशालय की ओर से डॉक्टरों को बताया गया है कि राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत इन सीटों को अभी तक वित्त विभाग से अनुमति नहीं मिली है। इसके चलते इसे सूची में शामिल नहीं किया गया है। यदि इन सीटों को शामिल किया जाता, तो स्नातकोत्तर शिक्षा पूरी करने वाले प्रत्येक डॉक्टर को नवंबर तक बेरोजगार नहीं रहना पड़ता।
विभाग - सीटें उपलब्ध - पात्र उम्मीदवार
पीएसएम - 40 - 98
औषधि निर्माण विभाग - 33 - 47
एनेस्थीसिया – 167 -210
पैथोलॉजी – 70 - 114
सूक्ष्म जीव विज्ञान – 36 - 56
रेडियोलॉजी ऑन्कोलॉजी - 1 - 3
नेत्र विज्ञान विभाग – 53 - 82
कान, नाक, गला - 52 - 59
जनरल सर्जरी - 87 - 185
श्वसन - 35 - 36
मेडिसिन विभाग -186 -192
बाल रोग -114 -132