प्रदेश में सलोखा योजना के तहत खेत जमीन के 220 विवाद सुलझाए गए

  • अमरावती विभाग में 92
  • ठाणे विभाग में 18
  • नागपुर विभाग में 18 मामलों का निपटारा

Bhaskar Hindi
Update: 2023-08-09 16:03 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग की सलोखा (सुलह) योजना के तहत खेत जमीन के 220 विवादों का निपटारा हुआ है। इस विवादित खेत जमीन को किसानों ने आपसी सहमति केवल दो हजार रुपए में एक-दूसरे के नाम पर कर दिया है। सलोखा योजना के कारण भूमाफिया के हस्तक्षेप के बैगर और अदालत गए बिना खेती के कब्जे का विवाद सुलझ गया है। प्रदेश में सबसे अधिक अमरावती विभाग में 92 खेत जमीन के विवाद निपटाए गए हैं। राज्य के राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में यह जानकारी दी। अधिकारी ने कहा कि एक किसान की जमीन दूसरे किसान के कब्जे में होने और दूसरे किसान की जमीन पहले किसान के कब्जे में 12 सालों से अधिक समय से होने की स्थिति में संबंधित दोनों पक्षों को सलोखा योजना का लाभ मिल सकता है। इसके लिए खेत जमीन धारक को भूमि की अदलाबदली (हस्तांतरण) के दस्तावेज के लिए पंजीयन शुल्क एक हजार रुपए और मुद्रांक शुल्क एक हजार रुपए देना होगा। अधिकारी ने बताया कि इस योजना के तहत अमरावती विभाग में 92 जमीन विवाद निपटारा हुआ है। अमरावती विभाग के सबसे अधिक यवतमाल जिले में 41 मामले सुलझाए गए हैं। नागपुर विभाग में 18 मामले का निपटारा हुआ है। जिसमें सर्वाधिक वर्धा के 7 मामलों का समावेश है। ठाणे विभाग में 18 प्रकरण का निपटारा हुआ है। इसमें सर्वाधिक रत्नागिरी के 15 मामले शामिल हैं। नाशिक विभाग में 30 मामले निपटा लिए गए हैं। जिसमें अहमदनगर के 20 मामले का निपटारा हुआ है। औरंगाबाद विभाग में 13 मामले का निपटारा हुआ है। इसमें जालना के 9 प्रकरण का समावेश है। लातूर विभाग में 23 मामले सुलझाए गए हैं। इसमें सबसे ज्यादा परभणी के 15 मामले शामिल हैं। पुणे विभाग में 26 मामले सुलझाए गए हैं। इसमें सबसे अधिक सांगली में 7 मामले का समावेश है।

पटवारी के पास करना होता है

सलोखा योजना के तहत खेत जमीन के कब्जे का विवाद खत्म करने के लिए पटवारी के पास आवेदन करना होता है। किसानों के आवेदन के पश्चात पटवारी और मंडल अधिकारी को 15 दिनों में पंचनामा करना आवश्यक है। यदि पटवारी और मंडल अधिकारी पंचनामा के लिए तैयार नहीं होते हैं तो संबंधित तहसीलदार और उप विभागीय अधिकारी के पास अपील की जा सकेगी।

क्यों पड़ी योजना की जरूरत

राज्य में खेत जमीन के कब्जे के विवाद के लाखों मामले हैं। खेत जमीन के मालिकाना हक, खेत की मेड, खेत रस्ते और खेत के नापने, भाइयों में जमीन के बंटवारे को लेकर विभिन्न विवाद हैं। खेत जमीन के विवाद कई वर्षों तक अदालत में प्रलंबित रहते हैं। इससे मद्देनजर सरकार ने सलोखा योजना लागू करने का फैसला लिया है।

मंत्रिमंडल ने दी थी मंजूरी

इससे पहले बीते 13 दिसंबर को राज्य मंत्रिमंडल ने खेत जमीन के कब्जे को लेकर हुए विवाद को निपटाने के लिए सलोखा योजना को मंजूरी दिया था। जिसके बाद गत 3 जनवरी को राजस्व विभाग ने सलोखा योजना के तहत खेत की जमीन को अपने नाम पर करने के लिए हस्तांतरण पंजीयन एक हजार रुपए और मुद्रांक शुल्क एक हजार रुपए लागू करने के संबंध में शासनादेश जारी किया था। इसके बाद से राज्य में सलोखा योजना प्रभावी है। इस योजना की अवधि 2 साल है।

किस विभाग में कितने मामले सुलझाए गए

विभाग निपटाए गए मामले

अमरावती विभाग - 92

नाशिक विभाग - 30

नागपुर विभाग - 18

लातूर विभाग - 23

पुणे विभाग - 26

ठाणे विभाग - 18

औरंगाबाद विभाग - 13


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