800 से ज्यादा लोगों के मन से निकाल चुके हैं आत्महत्या का विचार
- बेटे की मौत के बाद
- खुद की थी पत्नी के साथ आत्महत्या की कोशिश
- मन से निकाल चुके हैं आत्महत्या का विचार
डिजिटल डेस्क, मुंबई, दुष्यंत मिश्र. सोशल आंत्रप्रेन्योर विवेक शर्मा अपने पॉडकास्ट ‘गॉड इज नॉट फेयर?’ के जरिए 800 से ज्यादा लोगों को आत्महत्या का विचार छोड़कर जिंदगी सकारात्मक तरीके से जीने के लिए प्रेरित कर चुके हैं। यह आंकड़ा सिर्फ उनका है, जिन्होंने खुद इसकी जानकारी दी है। लेकिन ऐसे लोगों की संख्या और ज्यादा हो सकती है, क्योंकि अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर उनका पॉडकास्ट 15 लाख से ज्यादा लोगों ने सुना है। हाल ही में विवेक ने पॉडकास्ट का तीसरा सीजन शुरू किया है। लेकिन यहां तक का रास्ता आसान नहीं रहा है, क्योंकि कभी विवेक ने खुद अपनी पत्नी श्वेता के साथ निराशा के गर्त में डूबने के बाद आत्महत्या की कोशिश की थी।
पांच साल के बेटे की मौत ने हिला दिया
विवेक और उनकी पत्नी कॉर्पोरेट कंपनी में अच्छी नौकरी कर रहे थे। पांच साल के बेटे अमोघ के साथ वे हंसते खेलते अच्छी जिंदगी जी रहे थे लेकिन एक दिन अचानक उनकी दुनिया बदल गई। सितंबर 2014 में अमोघ स्कूल से आने के बाद सोया और फिर कभी उठा ही नहीं। हमें आज तक नहीं पता कि अचानक उसकी मौत कैसे हुई, क्योंकि सुबह ही मैंने स्कूल छोड़ा था। पति-पत्नी ने नौकरी छोड़ दी और इस कदर निराश हो गए कि आत्महत्या तक की कोशिश की। बड़ी मुश्किल से दोनों ने सदमे से उबरने की कोशिश शुरू की और फैसला किया कि वे अपने बुरे दौर के बारे में किताब लिखेंगे।
लोगों से बात की, पॉडकास्ट शुरू किया
विवेक ने इसी तरह निराशा से जूझने वाले दूसरे लोगों से बात की। इस दौरान उन्होंने पाया कि ऐसी कई कहानियां हैं, जो दूसरों को जिंदगी जीने के लिए प्रेरित कर सकती हैं और उन्होंने ‘गॉड इन नॉट फेयर? नाम की किताब लिख डाली। बाद में अनुभव साझा करने और लोगों को प्रेरित करने के लिए इसी नाम से पॉडकास्ट भी शुरू किया। विवेक और श्वेता की अब दो बेटियां भी हैं।
बात करने के बाद बदला इरादा, बदली जिंदगी
विवेक ने कहा कि वैसे तो बहुत से लोग हैं जिन्होंने मेरे पॉडकास्ट सुनने के बाद आत्महत्या का खयाल छोड़ है लेकिन दो कहानियां मेरे दिल के बेहद करीब हैं। उन्होंने कहा कि मैं पॉडकास्ट में संपर्क के लिए अपना नंबर देता हूं। शुरुआती दिनों में ही एक लड़के का फोन आया और वह रोने लगा। बातचीत के बाद लड़के ने बताया कि वह प्रतिष्ठित परिवार से है। माता-पिता का इकलौता बेटा है। सब चाहते हैं वह डॉक्टर बने, नामी मेडिकल कॉलेज में उसका दाखिला भी हो गया था, लेकिन तीन साल के बाद उसे किसी वजह से रेस्टिकेट कर दिया। लड़का समझ नहीं पा रहा था कि माता-पिता को इसकी जानकारी कैसे दे। बातचीत में उसने बताया कि वह इमारत की तीसरी मंजिल पर खड़ा है और वहां से छलांग लगाने जा रहा है। लेकिन विवेक से बात करने के बाद लड़ने ने अपना इरादा बदला। बाद में उसने विवेक को बताया कि अब सब ठीक है और उसने माता-पिता को भी समझा लिया है।
प्रेम संबंध टूटने से था दुखी, अब सेना में अधिकारी
इसी तरह प्रेम संबंध टूटने से परेशान एक युवक ने विवेक को फोन किया और उनके समझाने-बुझाने के बाद उसने जिंदगी में आगे बढ़ने का फैसला किया। अब वह व्यक्ति सेना का अधिकारी है और अपने चयन के बाद उसने सबसे पहले विवेक को फोन कर धन्यवाद दिया।
दूसरे तरीकों से भी करते हैं मदद
विवेक दूसरे तरीकों से भी लोगों की मदद करते हैं। बेटे के नाम पर उन्होंने मिकी अमोघ फाउंडेशन की स्थापना की है। कैंसर पीड़ितों की विग के लिए वे लोगों को बाल दान देने के लिए प्रेरित करते हैं। साथ ही बीमारी के आधार पर जीवनसाथी का चुनाव करने के लिए डिवाइन रिलेशन नाम की वेबसाइट भी बनाई है।