बॉम्बे हाईकोर्ट: किराएदारों के इमारत की मरम्मत का सीमित अधिकार मालिक के पुनर्विकास के अधिकार को खत्म नहीं कर सकता
- सीमित अधिकार मालिक के पुनर्विकास के अधिकार को खत्म नहीं कर सकता
- अदालत
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने माना है कि भले ही कोई इमारत अच्छी स्थिति में हो, लेकिन मालिक फिर भी उसका पुनर्विकास करना चाहता है, तो किराएदार मालिक को केवल इसलिए पुनर्विकास करने से नहीं रोक सकते, क्योंकि उनका मानना है कि इमारत का मरम्मत ही पर्याप्त होगी। किराएदारों के इमारत की मरम्मत का सीमित अधिकार इमारत मालिक के पुनर्विकास के अधिकार को खत्म नहीं कर सकता है।
न्यायमूर्ति जी.एस.पटेल और न्यायमूर्ति कमल खाता की खंडपीठ ने वर्ली की एक इमारत के किराएदारों को दी गई अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) और बाद में मरम्मत की अनुमति को रद्द कर दिया। खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि मालिक इमारत का पुनर्विकास करना चाहता है और स्वामित्व के आधार पर किराएदारों को मुफ्त में घर देने को तैयार है। ऐसे में वह (मकान मालिक) उस इमारत के विकास के फल का यथासंभव पूर्ण आनंद लेने का हकदार था।
मकान मालिक ने मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) द्वारा अपने किरायेदारों को इमारत की मरम्मत करने के लिए जारी की गई एनओसी को रद्द करने की मांग करते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उसने आग्रह किया कि वह उस इमारत का पुनर्विकास करना चाहते हैं, जिसका निर्माण 1960 के दशक में किया गया था। किराएदारों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इमारत का मरम्मत करना पर्याप्त होगा। वे इसके लिए भुगतान करने को तैयार हैं।
तकनीकी सलाहकार समिति इमारत के संरचनात्मक मूल्यांकन रिपोर्ट में इमारत को सी-2ए के रूप में वर्गीकृत किया, जिसके मुताबिक इमारत को किराएदारों को हटाए बिना मरम्मत की आवश्यकता है। जबकि मकान मालिक ने दावा किया कि इमारत निर्जन सी-1 श्रेणी में आती है और इसे पुनर्विकास करने की आवश्यकता है। मकान मालिक पुनर्विकास के समय सभी किरायेदारों को स्वामित्व के आधार पर फिर से रखने के लिए तैयार था।