सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों की अयोग्यता के मामले में विधानसभा अध्यक्ष को नोटिस जारी किया
- दो हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का दिया आदेश
- विधानसभा अध्यक्ष को नोटिस जारी
- विधायकों की अयोग्यता का मामला
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को शिवसेना (उद्धव ठाकरे) पार्टी के नेता सुनील प्रभु द्वारा दायर याचिका पर विधानसभा अध्यक्ष को नोटिस जारी किया है, जिसमें शिवसेना शिंदे गुट के विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता के मामले में शीघ्र निर्णय लेने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश देने की मांग की गई थी। कोर्ट ने विस अध्यक्ष को मामले में दो हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।
मामला मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था। सीजेआई ने मामले में नोटिस जारी करते हुए दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया।
गौरतलब है कि शिवसेना में दरार से संबंधित मामले में 11 मई 2023 के फैसले में संवैधानिक पीठ ने कहा था कि वह उद्धव ठाकरे सरकार की बहाली का आदेश नहीं दे सकता क्योंकि ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया था। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्यता के मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए अनुच्छेद 226 और अनुच्छेद 32 के तहत अपनी शक्तियों का उपयोग करने से इंकार करते हुए विधायकों की अयोग्यता के निर्धारण का निर्णय स्पीकर को सौंप दिया था और कहा था कि स्पीकर को उचित अवधि के भीतर अयोग्यता पर निर्णय लेना चाहिए।
याचिका के माध्यम से विधायक सुनील प्रभु ने प्रस्तुत किया था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को विधायकों की अयोग्यता के मुद्दे पर उचित अवधि के भीतर निर्णय लेने का निर्देश देने के बावजूद अध्यक्ष ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है। जबकि याचिकाकर्ता इस संबंध में स्पीकर को तीन ज्ञापन दे चुके है। प्रभु ने तर्क दिया कि अयोग्यता की कार्यवाही पर निर्णय लेने में स्पीकर की निष्क्रियता संवैधानिक अनौचित्य का गंभीर मामला है। क्योंकि उनकी निष्क्रियता मुख्यमंत्री सहित उन विधायकों को विधानसभा में बने रहने और सरकार में जिम्मेदार पदों पर बने रहने की अनुमति दे रही है, जो अयोग्य ठहराए जा सकते हैं।