शरद पवार ने कहा नए संसद भवन उद्घाटन मामले में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का महत्व कम करने की कोशिश
- पवार का बड़ा आरोप
- राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का महत्व कम करने की कोशिश
- राष्ट्रपति को कार्यक्रम में नहीं बुलाना संविधान का अपमान- अतुल लोंढे
डिजिटल डेस्क, मुंबई. संसद भवन की नई इमारत का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को किया। इस मौके पर जहां कुछ दल सरकार के साथ खड़े दिखे वहीं कुछ दलों ने उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार किया। राज्य में भी महाविकास आघाडी के तीनों दलों ने इस कार्यक्रम का विरोध किया लेकिन महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) इसके समर्थन में आई है। मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि संसद भवन लोकतंत्र का स्तंभ है इस पर विवाद नहीं होना चाहिए। वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि इस मौके पर लोकसभा अध्यक्ष मौजूद रहे लेकिन राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को भी होना चाहिए था।
नए संसद भवन का रविवार को भले ही उद्घाटन हो गया हो लेकिन इस पर राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है। राज्य में आघाडी के विरोध के बाद राज ठाकरे ने विरोधियों पर निशाना साधा है। राज ने ट्वीट करके कहा कि, 'आज देश के नए संसद भवन का उद्घाटन हुआ। संसद भवन देश में लोकतंत्र का स्तंभ माना जाता है, इसलिए इस नए भवन की गंभीरता को जीवित रहने देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह समारोह बहुत विवादों में रहा है। अगर इस पर विवाद नहीं होता तो अच्छा होता। राज ने कहा कि संसद भवन की इमारत के निर्माण के लिए और लोकतंत्र को बनाए रखने वालों के लिए बहुत-बहुत बधाई। भारतीय लोकतंत्र अमर रहे।
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का महत्त्व काम करने का प्रयास- शरद पवार
संसद भवन के उद्घटान समारोह पर राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि आधुनिक भारत की संकल्पना जवाहरलाल नेहरु ने की थी लेकिन उन्हें चिंता है कि देश पिछले कुछ साल में और पीछे चला गया है। उन्होंने कहा कि विज्ञान से समझौता नहीं किया जा सकता है। नेहरु की संकल्पना विज्ञान पर आधारित समाज बनाने की थी लेकिन आज बिल्कुल इसके विपरीत हो रहा है। पवार ने कहा कि संसद की कार्यवाही की शुरुआत राष्ट्रपति के भाषण के साथ होती है तो फिर उन्हें नए भवन के उद्घाटन के मौके पर क्यों नहीं बुलाया गया? पवार ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का महत्त्व काम करने का प्रयास किया जा रहा है।
राष्ट्रपति को कार्यक्रम में नहीं बुलाना संविधान का अपमान- अतुल लोंढे
प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता अतुल लोंढे ने कहा कि प्रश्न इस बात का नहीं है कि संसद की नई इमारत का विरोध किया जा रहा है। प्रश्न इस बात का है कि जिस तरह से देश में हुकुमशाही चल रही है उसका विरोध कांग्रेस पार्टी कर रही है। लोंढे ने कहा कि संविधान के अनुसार संसद राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा से मिलकर बनती है लेकिन जब संसद की इमारत का उद्घाटन होता है तो राष्ट्रपति को ही नहीं बुलाया जाता। यह देश के संविधान का अपमान है।