अधिवेशन बीत गया पर नहीं मिला इस सवाल का जवाब

  • राकांपा के कितने विधायक, किसके साथ
  • वेट एंड वॉच की भूमिका में एनसीपी विधायक

Bhaskar Hindi
Update: 2023-08-04 16:39 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई, विजय सिंह "कौशिक'। बीते 14 जुलाई से शुरु विधानमंडल मानसून सत्र के ठीक पहले राज्य में हुए बड़े राजनीतिक उलटफेर का असर दो सप्ताह चलने वाले अधिवेशन पर दिखाई दिया। सत्र समाप्त होने के सिर्फ दो दिन पहले विधानसभा को विपक्ष का नेता मिल गया पर अधिवेशन समाप्त होने तक एक सवाल का जवाब नहीं मिल सका कि राकांपा के कितने विधायक शरद पवार और कितने अजित पवार के साथ हैं।

अधिवेशन शुरु होने के पांच दिन पहले राकांपा में हुई टूट के बाद यह साफ नहीं हो पा रहा था कि पार्टी के कितने विधायक राकांपा के संस्थापक शरद पवार और कितने उनके भतीजे उपमुख्यमंत्री अजित पवार के पाले में हैं। सबकी नजर 7 जुलाई शुरु होने वाले विधानमंडल मानसून सत्र अधिवेशन पर थी। सदन शुरु होने पर राकांपा के कितने विधायक सत्तापक्ष और कितने विपक्ष में बैठते हैं। पर 13 दिनों तक चले अधिवेशन के दौरान कोई यह भांप सका कि राकांपा के कितने विधायक किस गुट के साथ हैं। राकांपा विधायक जयंत पाटील, जितेंद्र आव्हाड और रोहित पवार के अलावा पार्टी के अन्य विधायक इस बात का खुलासा करने से बचते रहे कि वे किस गुट में हैं। राकांपा विधायक फिलहाल वेट एंड वॉच की भूमिका में हैं। वे किसके साथ हैं, यह बात उजागर न हो सके इस लिए पार्टी के अधिकांश विधायक सदन में बैठने से बचते रहे। राकांपा के अधिकांश विधायकों को उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव से पहले दोनों गुट फिर से एक हो जाएंगे। अंदरखाने कांग्रेस के नेता भी इस बात के पक्ष में दिखाई देते हैं।

बेदम दिखा विपक्ष

राकांपा में हुई बगावत से इस अधिवेशन में विपक्ष बेदम दिखाई दिया। हालांकि विधानसभा की बजाय उपरी सदन विधान परिषद में विपक्ष ने कुछ आक्रामकता दिखाने की कोशिश जरुर की। शिव प्रतिष्ठान के अध्यक्ष संभाजी भिड की महात्मा गांधी को लेकर आपत्तिजनक बयानबाजी को लेकर विपक्ष ने कुछ हंगामा जरुर किया पर सत्तापक्ष को भिडे के खिलाफ तुरंत कार्रवाई के लिए मजबूर नहीं कर सका। इस बीच पुणे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शरद पवार के मंच साक्षा करने से भी महा आघाडी का मनोबल गिरा।

उद्धव पर निशाना

पूरे अधिवेशन के दौरान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अपेक्षा दोनों उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार सदन में अधिक सक्रिय दिखाई दे रहे। सत्र के दौरान भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर खतरे की चर्चा जारी रही।जबकि शिंदे ने सदन में भी अपने भाषणों में शिवसेना (उद्धव) पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे का नाम लिए बगैर हमला बोलने का कोई मौका नहीं छोड़ा। विधानसभा में नवनियुक्त विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार के अभिनंदन प्रस्ताव पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने उद्धव का नाम लिए बगैर निशाना साधा। सत्र के अंतिम दिन अंतिम सप्ताह प्रस्ताव पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने "महाराष्ट्र का महा गद्दार कौन?' कह कर उद्धव पर एक बार फिर निशाना साधा।

फिर शुरु होगी मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा

मंत्री बनने की लालच में बगावत करने वाले दर्जनों विधायक महिनों से मंत्री बनने का इंतजार कर रहे हैं। वे तो मंत्री नहीं बन सके पर इस बीच राकांपा से आए नौ लोग मंत्री बन बैठे हैं। इससे शिंदे गुट और भाजपा विधायकों में नाराजगी है। मंत्री बनने के इच्छुकों को अधिवेशन बाद मंत्रिमंडल विस्तार का आश्वासन दिया गया था। अब अधिवेशन बीतने के बाद एक बार फिर मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा शुरु होगी। हालांकि भाजपा के एक वरिष्ठ मंत्री की माने तो मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना कम ही है क्योंकि एक अनार सौ बीमार वाली हालत है। जबकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले का दावा है कि अधिवेशन बाद मंत्रीमंडल विस्तार 100 फीसदी होकर रहेगा।राज्य मंत्रिपरिषद में कुल 42 मंत्री शामिल हो सकत हैं। फिलहाल मुख्यमंत्री, दो उपमुख्यमंत्री सहित 29 शामिल हैं। इस लिहाज से अभी 13 और लोग मंत्री बन सकते हैं।

नाना पटोले, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मुताबिक अजित पवार के साथ कितने विधायक हैं। सही संख्या सदन में बतानी चाहिए थी। लोगों के मन का संदेह दूर करने के लिए, विधानसभा अध्यक्ष को इस पर निर्णय देना चाहिए। इस सारे भ्रम के कारण कांग्रेस को नेता विपक्ष कानाम तय करने में समय लग गया।'

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