मुंबई: साधन की कमी से जूझ रहे ग्रामीण अस्पताल, सिर्फ 40 प्रतिशत बेड का हो रहा इस्तेमाल
- 364 ग्रामीण अस्पतालों में हैं 10 हजार बेड
- शहर के अस्पतालों में बेड की कमी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। शहर के सरकारी अस्पतालों में बेड पाने के लिए मरीजों के परिजनों को भारी कसरत करनी पड़ रही है तो दूसरी तरफ ग्रामीण अस्पतालों में सिर्फ 40 फीसदी बेड का ही इस्तेमाल हो रहा है। यह जानकारी हाल ही में जारी एक स्वास्थ्य समीक्षा की रिपोर्ट में सामने आई है। इस रिपोर्ट से यह निष्कर्ष सामने आया है कि डॉक्टरों सहित अन्य सुविधा के अभाव के कारण ग्रामीण अस्पतालों के सिर्फ 40 फीसदी बेड का इस्तेमाल में होता है।
राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत 364 ग्रामीण अस्पताल आते हैं। इन अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य सेवा निदेशालय की है। इन 364 अस्पतालों में करीब 10 हजार बेड हैं। इनमें से महज 40 फीसदी यानी 4 हजार बेड ही मरीजों के इस्तेमाल में आ रही हैं। राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की समीक्षा रिपोर्ट एशियाई विकास बैंक ने तैयार की थी। इस रिपोर्ट से यह निष्कर्ष निकाला गया है कि ग्रामीण अस्पतालों का पूरी क्षमता से उपयोग नहीं किया जा रहा है।
विशेषज्ञों की कमी
ग्रामीण अस्पतालों में मरीजों को अच्छा इलाज मुहैया कराने के लिए वहां अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं और पर्याप्त डॉक्टर उपलब्ध होने चाहिए। स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, ग्रामीण अस्पतालों को पूरी क्षमता से चलाने के लिए हर अस्पताल में कम से कम एक एमडी मेडिसिन और सर्जन की नियुक्ति की जानी चाहिए। हालांकि हर ग्रामीण अस्पताल में महिला रोग विशेषज्ञ, बच्चों के डॉक्टर और एक एनेस्थीसिया कार्यरत है। अन्य रोगों या गंभीर मामलों के लिए मरीजों को या तो जिला अस्पताल या फिर सरकारी मेडिकल कॉलेजों में रेफर किया जाता है।
बढ़ाई जा रही सुविधा
स्वास्थ्य सेवा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नांदेड हादसे के बाद से यह निष्कर्ष निकाला गया है कि अगर लोगों को प्राथमिक स्तर पर सभी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई जाए तो जिला और तृतीय देखभाल अस्पतालों (टर्शरी अस्पताल) का भार कम हो सकेगा। इसी के तहत ग्रामीण अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं को सक्षम करने की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है। इसके तहत यहां एमडी मेडिसिन और सर्जरी के डॉक्टरों की नियुक्ति की जा रही है।