सरकारी अस्पतालों में 48 घंटे ड्यूटी कर रहे रेजिडेंट डॉक्टरों ने पीएम को बयां किया अपना दर्द
- सेंट्रल मार्ड ने भेजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र
- सुरक्षित वातावरण प्रदान करें
डिजिटल डेस्क, मुंबई। सरकारी अस्पतालों में 48 घंटे ड्यूटी कराए जाने, छुट्टियों की कमी, वरिष्ठ डॉक्टरों द्वारा लगातार दुर्व्यवहार, मरीज के रिश्तेदारों द्वारा पिटाई, मानसिक तनाव, छात्रावास की बहुत खराब स्थिति आदि अपने दर्द को रेजिडेंट डॉक्टरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास बयां किया है। इस आशय का पत्र गुरुवार को रेजिडेंट डॉक्टरों की संगठन सेंट्रल मार्ड ने भेजा है। इस पत्र के जरिए केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार से भी मुंबई सहित देश भर में रेजिडेंट डॉक्टरों की आत्महत्या के मामले की जांच करने का अनुरोध किया गया है।
सेंट्रल मार्ड की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में सरकार की नीति में आवश्यक बदलाव करने का अनुरोध किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि डॉक्टरों को मरीजों की सेवा करते समय एक सुरक्षित वातावरण मिले। सेंट्रल मार्ड के अध्यक्ष डॉ. अभिजीत हेलगे ने बताया कि रेजिडेंट डॉक्टरों को अस्पताल में मरीजों की सेवा करते समय कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। एक तो लंबे समय तक यानी कम से कम 48 घंटा ड्यूटी देनी पड़ती है। इसके अलावा छुट्टियों की कमी बनी हुई है, वरिष्ठ डॉक्टरों द्वारा दुर्व्यवहार के भी शिकार होना पड़ता है। इन सब मानसिक तनाव के बीच कई बार रेजिडेंट डॉक्टरों को मरीज के रिश्तेदारों की पिटाई भी झेलनी पड़ती है। इन सब के बीच काम करते हुए कई रेजिडेंट डॉक्टर डिप्रेशन की चपेट में आ जाते है। इसके चलते रेजिडेंट डॉक्टर तनाव में आकर आत्महत्या जैसा भयानक कदम उठा रहे हैं। सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं देशभर के डॉक्टरों को इन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
सुरक्षित वातावरण प्रदान करें
मुंबई के केईएम अस्पताल के 27 वर्षीय डॉ. आदिनाथ पाटिल ने मानसिक तनाव में इंजेक्शन लगाकर आत्महत्या कर ली। इसके पहले भोपाल के 27 वर्षीय डॉ. बाला सरस्वती ने वरिष्ठ डॉक्टर द्वारा थीसिस स्वीकार नहीं करने के कारण एनेस्थीसिया की दवा का ओवरडोज लेकर आत्महत्या कर ली थी। चंडीगढ़ में भी एक रेजिडेंट डॉक्टर ने असिस्टेंट प्रोफेसरों के बनाए तनावपूर्ण माहौल से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। इन घटनाओं का जिक्र पीएम मोदी को लिखे गए पत्र में किया गया है। डॉ. अभिजीत ने डॉक्टरों की आत्महत्या पर रोशनी डालते हुए कहा कि देश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों की स्थिति डॉक्टरों को परेशान करने वाली है। यही कारण है कि पिछले कुछ वर्षों में रेजिडेंट डॉक्टरों की आत्महत्या दर बढ़ती जा रही है। इस व्यवस्था को बदलने और देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने के लिए इस बेहद संवेदनशील मुद्दे पर ध्यान देने, रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करने, उनकी बुनियादी गरिमा बनाए रखने का अनुरोध पत्र में किया गया है।
नीति में लाए बदलाव
डॉ.अभिजीत ने पत्र के जरिये सरकार की नीति में आवश्यक बदलाव करने की मांग भी की गई है। मार्ड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही यह पत्र केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाहा, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया, महाराष्ट्र के चिकित्सा एवं शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ और स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत को भी भेजा है।