राहुल गांधी को दिल्ली में मिली राहत, आदित्य ठाकरे बोले - लोकतंत्र की हुई जीत
- मुंबई विधान भवन में बटीं मिठाई
- राहुल गांधी को दिल्ली में मिली राहत
- आदित्य ठाकरे बोले - लोकतंत्र की हुई जीत
डिजिटल डेस्क, मुंबई। सुप्रीम कोर्ट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सरनेम मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा पर रोक लगने के बाद महाराष्ट्र विधान भवन में शुक्रवार को कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने जश्न मनाया। शुक्रवार को विधान मंडल के आखिरी दिन विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों ने राहुल गांधी को मिली राहत पर खुशी जताते हुए इसे लोकतंत्र की जीत बताया है। विधान भवन की सीढ़ियों पर कांग्रेस के सदस्यों ने मिठाई बांटते हुए एक दूसरे को बधाई दी। शिवसेना (उद्धव गुट) नेता आदित्य ठाकरे ने राहुल गांधी को मिली राहत का स्वागत किया है। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि यह सत्य की जीत है।
महाराष्ट्र विधान मंडल के मानसून सत्र के आखिरी दिन जैसे ही देश की सर्वोच्च अदालत से राहुल गांधी के लिए राहत भरी खबर मिली वैसे ही कांग्रेस और विपक्ष के दलों में खुशी की लहर दौड़ गई। विधानसभा और विधान परिषद की कार्यवाही में व्यस्त कांग्रेस के सभी सदस्य विधान भवन की सीढ़ियों पर आकर खुशी जताने लगे और एक दूसरे को मिठाई बांटने लगे। कांग्रेस की इस खुशी में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना (उद्धव गुट) के सदस्य भी शामिल हुए। विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि गांधी कभी माफी नहीं मांगते। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से राहुल गांधी को मिली राहत से भाजपा को एक करारा तमाचा मिला है।
शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता आदित्य ठाकरे ने राहुल गांधी को मिली राहत कर बयान देते हुए कहा कि राहुल गांधी ने अपने शपथ पत्र में कहा कि वह माफी नहीं मांगेंगे। उन्होंने जो कहा वह सच ही कहा था। आदित्य ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से राहुल गांधी जी को जो राहत मिली है उससे एक बार फिर साबित हो गया है कि सत्य की हमेशा जीत होती है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि इस समय देश में आपातकाल जैसे हालात हैं। उन्हें सिर्फ न्याय प्रणाली पर ही भरोसा है। पटोले ने कहा कि जल्द ही राहुल गांधी की आवाज संसद में भी गूंजेगी। राकांपा नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि उन्हें लगता है कि देश अब करवट बदलेगा, इतिहास खुद को दोहराएगा। उन्होंने कहा कि जैसे साल 1977 के बाद इंदिरा गांधी को सताया गया था लेकिन साल 1980 में देश ने करवट बदली थी। ऐसे ही राहुल गांधी के साथ भी हुआ है।