बॉम्बे हाईकोर्ट: उत्पाद शुल्क विभाग के अधिकारियों के खिलाफ जांच के दिए आदेश

  • अधिकारियों पर प्रतिद्वंद्वी कंपनी से मिलकर दूसरी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने का आरोप
  • जांच के दिए आदेश दिए

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-01 15:45 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। किसी भी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए प्रतिद्वंदी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई सरकारी अधिकारियों को भारी पर सकती है। ऐसे ही एक मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र उत्पाद शुल्क विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को उत्पाद शुल्क विभाग के अधिकारियों के खिलाफ जांच का आदेश दिया है, जिन्होंने प्रतिद्वंदी कंपनी के कहने पर बॉम्बे निषेध अधिनियम के तहत प्रतिबंधित पदार्थ नहीं होने के बावजूद एक केमिकल कंपनी के इथेनॉल को अवैध रूप से जब्त कर लिया था।

न्यायमूर्ति जी.एस.कुलकर्णी और न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन की खंडपीठ ने रासायनिक आयातक के राज एंड कंपनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि उत्पाद शुल्क अधिकारियों ने याचिकाकर्ता कंपनी के प्रतिद्वंद्वियों के इशारे पर काम किया और याचिकाकर्ता की प्रतिष्ठा एवं व्यावसायिक हित को नुकसान पहुंचाया। उत्पाद शुल्क अधिकारियों के हाथों अवैध जब्ती से उत्पन्न होने वाली ऐसी स्थिति न केवल गलत है, बल्कि ऐसी स्थिति पैदा करेगी, जिससे ऐसे अधिकारियों द्वारा गंभीर सार्वजनिक कर्तव्यों के पालन में पूर्ण अराजकता है।

याचिकाकर्ता के वकील शाह ने दलील दी कि 12 दिसंबर 2023 में याचिकाकर्ता कंपनी के इथेनॉल की जब्ती हुई थी। यह अदालत के 4 नवंबर 2023 के पूर्व आदेश और एक अन्य याचिका में समन्वय खंडपीठ के 2021 के फैसले का सीधा उल्लंघन था। 2021 के आदेश में अदालत ने माना था कि विचाराधीन सामान (इथेनॉल) बॉम्बे निषेध अधिनियम के दायरे में नहीं आता है। 12 और 13 दिसंबर 2023 को दो समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार में याचिकाकर्ताओं से 28000 लीटर इथेनॉल की जब्ती और मामले के संबंध में एक गिरफ्तारी पर प्रकाश डाला गया था।

राज्य उत्पाद शुल्क विभाग के वकील श्रुति व्यास ने कहा कि राज्य उत्पाद शुल्क विभाग का इरादा जब्ती जारी रखने का नहीं था। उन्होंने अदालत को आश्वासन दिया कि जब्त माल और वाहन को तुरंत रिहा कर दिया जाएगा। अदालत ने कार्यवाही में हस्तक्षेप करने वालों के कारण बयान को स्वीकार करने और कार्यवाही बंद करने से इनकार कर दिया। अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि याचिकाकर्ताओं को अवैध जब्ती के कारण नुकसान हुआ था।

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