शोर शराबा: बप्पा के विसर्जन और ईद-ए-मिलादुन्नबी में डीजे-बैंजो-हॉर्न बजाकर हुआ ध्वनि प्रदूषण
- पिछले वर्ष की तुलना में कम रहा आवाज का स्तर
- गणेश विसर्जन में 114 और ईद-ए-मिलादुन्नबी में 108 डेसिबल ध्वनि दर्ज की गई
डिजिटल डेस्क, मुंबई. गणपति विसर्जन और ईद-ए- मिलादुन्नबी का त्योहार शोर शराबे के बीच संपन्न हुआ। विसर्जन के दौरान ढोल, बैंजो, डीजे सहित राजनीतिक पार्टियों के लाउड स्पीकर ने ध्वनि प्रदूषण में इजाफा किया जबकि ईद-ए- मिलादुन्नबी में डीजे सहित जुलूस में शामिल वाहनों के हॉर्न से ध्वनि प्रदूषण के नियमों की अनदेखी हुई है। हालांकि बीते वर्ष की तुलना में इस वर्ष आवाज का स्तर काफी कम रहा। इस वर्ष गणेश विसर्जन में 114 डेसिबल और ईद-ए- मिलादुन्नबी में आवाज का स्तर 108 डेसिबल दर्ज किया गया। जबकि गत वर्ष विसर्जन के दौरान आवाज का स्तर 120 डेसिबल और ईद-ए- मिलादुन्नबी में 116.3 डेसिबल था।
मुंबई में बड़े ही धूमधाम से गणेश चतुर्थी का उत्सव और ईद-ए- मिलादुन्नबी का त्योहार मनाया जाता है। गणेश मनाया जाता है। गुलाल, आतिश बाजी के अलावा ढोल, बैंजो और डीजे के ताल पर भक्तगण बप्पा का आगमन और विसर्जन करते हैं। जबकि ईद-ए- मिलादुन्नबी के मौके पर निकाले जानेवाले जुलूस में मुस्लिम समुदाय लाउडस्पीकर, आतिशबाजी और डीजे का इस्तेमाल करते है। हर साल की तरह इस साल भी दोनों त्योहारों में शोर सुना गया। ध्वनि प्रदूषण के हित में काम करनेवाली संस्था आवाज फाउंडेशन ने इस बार भी दोनों त्योहारों में तय मानक से अधिक आवाज का स्तर रिकॉर्ड किया है।
यहां दर्ज किए गए अधिक आवाज का स्तर
आवाज फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार इस बार गणपति विसर्जन के सातवें दिन सबसे अधिक आवाज का स्तर 111.1 डेसिबल वर्ली नाका में डीजे का दर्ज किया गया। जबकि गणेश विसर्जन के अंतिम दिन माटुंगा में सबसे अधिक आवाज का स्तर 114.7 डेसिबल रेकॉर्ड किया गया। इसी तरह शुक्रवार को निकाले गए ईद ए मिलादुन्नबी के जुलूस में भी आवाज का स्तर काफी अधिक था। मोहम्मद अली रोड और क्रॉफोर्ड मार्केट के बीच आवाज का सबसे अधिक स्तर 108.1 डेसिबल रेकॉर्ड किया गया। इसमें लाउडस्पीकर के साथ गाड़ियों के हॉर्न की आवाज से ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा था। जबकि भायखला में डीजे साउंड सिस्टम की वजह से आवाज का स्तर 95.5 डेसिबल दर्ज किया गया।
इस बार डीजे का इस्तेमाल हुआ कम
आवाज फाउंडेशन की संस्थापक सुमैरा अब्दुल अली ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस बार ध्वनि प्रदूषण का स्तर कम रहा। इस बार गणपति और ईद दोनो में डीजे की संख्या गत वर्ष की तुलना में कम थी। इस बार गणपति विसर्जन के दौरान राजनीतिक पार्टी के लगे मंचों पर भी काफी शोर था। गिरगांव चौपाटी पर लगे पार्टियों के मंच से 12 बजे के बाद भी तय मानक से अधिक आवाज का स्तर 114.1 डेसिबल रेकॉर्ड किया गया।
इतनी होनी चाहिए थी आवाज
देश में आवाज को लेकर कानून भी है। इसे वर्ष 2000 में बनाया गया। इसमें साफ-साफ कहा गया है कि किसी भी सार्वजनिक स्थान पर आवाज वाले आयोजन के लिए प्रशासन से लिखित मंजूरी लेनी होगी। इसके अलावा रात 10 से सुबह 6 बजे के बीच लाउडस्पीकर नहीं बजा सकते। इसी तरह वह जगह जहां आबादी रहती है, वहां साउंड की सीमा सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 55 डेसिबल तो रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक 45 डेसिबल तक ही होना चाहिए। व्यावसायिक क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा 65 से 75 डेसिबल तक साउंड हो सकता है।