मुंबई पुलिस को रामनवमी के दिन हुई हिंसा के सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने का निर्देश
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई पुलिस को रामनवमी के दिन हुई हिंसा के सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने का दिया निर्देश
- मालवणी में रामनवमी के दिन दो समुदायों में हुई थी हिंसा
- जमील मर्चेंट की याचिका पर चल रही सुनवाई
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई पुलिस को इस साल मार्च में रामनवमी के दिन हुई मालवणी में हुई हिंसा की सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है। मालवणी निवासी मोहम्मद जमील मर्चेंट ने अदालत में याचिका कर उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को दर्द करने की मांग की है। इस मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी.
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ के समक्ष बुधवार को जमील मर्चेंट की ओर से वकील बुरहान बुखारी की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील बुखारी ने दलील दी कि 30 मार्च को रामनवमी शोभा यात्रा के दौरान हुई हिंसा के दौरान याचिकाकर्ता मालवणी पुलिस की मदद कर रहा था। वह पुलिस के साथ भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा था। उसे इमारत में लोगों को शांत करने के लिए भेजा गया था। पुलिस की मदद करते हुए याचिकाकर्ता की सीसीटीवी फुटेज मौजूद है। पुलिस आरोपियों के खिलाफ हिंसा भड़काने के मामले में दर्ज एफआईआर में याचिकाकर्ता का नाम भी शामिल किया है।
पुलिस ने वारदात वाले दिन का सीसीटीवी फुटेज साझा करने से इनकार कर रही है। याचिकाकर्ता को अंदेशा है कि सीसीटीवी फुटेज को डिलीट किया जा सकता है। याचिका में अदालत से इसे बचाने की भी गुहार लगाई गई है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि पुलिस ने उनके खिलाफ साजिश रची और एफआईआर में उनका नाम शामिल किया। याचिका में मुंबई के संरक्षक मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा, संयुक्त पुलिस आयुक्त सत्यनारायण चौधरी, अतिरिक्त सीपी राजीव जैन, डीसीपी अजय बंसल और मालवणी पुलिस को पार्टी बनाया गया है। खंडपीठ ने मुंबई पुलिस को इस साल 30 और 31 मार्च के सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है।
क्या था पूरा मामला
30 मार्च को हिंसा तब भड़की, जब रामनवमी का जुलूस मालवणी नंबर पांच इलाके से गुजर रहा था। जहां दो समुदाय हिंसक हो गए और पुलिस ने इस मामले में करीब 400 लोगों को आरोपी बनाया था। इसमें एक व्यापारी समेत 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.