Mumbai News: सोलापुर जिला परिषद स्कूलों के 48 सेवानिवृत्त अध्यापक और कर्मचारी समेत विधवाओं को बड़ी राहत
- सेवानिवृत्त अध्यापक और कर्मचारी समेत विधवाओं को 90 दिनों के भीतर वसूली गई राशि देने का निर्देश
- अदालत ने अध्यापक और कर्मचारी के सेवानिवृत्त लाभ और पेंशन से गलत तरीके से संशोधित वेतनमान की दी गई राशि को वसूलने का आदेश किया रद्द
Mumbai News : बॉम्बे हाई कोर्ट से सोलापुर जिला परिषद स्कूलों के 48 सेवानिवृत्त अध्यापक और कर्मचारी समेत विधवाओं को बड़ी राहत मिली है। अदालत ने अध्यापक और कर्मचारियों के सेवानिवृत्त लाभ और पेंशन से गलत तरीके से संशोधित वेतनमान की दी गई राशि को वसूलने का आदेश रद्द कर दिया है। अदालत ने उनसे वसूली गई राशि को 90 दिनों में अंदर देने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति अश्विन भोबे की पीठ के समक्ष सोलापुर जिला परिषद स्कूलों के 48 सेवानिवृत्त अध्यापक और कर्मचारी समेत विधवाओं की ओर से वकील सतीश राउत की दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं के वकील सतीश राउत ने दलील दी कि याचिकाकर्ता जिला परिषद के स्कूलों की नौकरी से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उनसे कथित तौर पर इस कारण से राशि की वसूली की गई कि उन्हें एमएस-सीआईटी का प्रमाण पत्र प्राप्त करने के आधार पर गलत तरीके से संशोधित वेतनमान के तहत अधिक राशि का भुगतान किया गया था। इन वेतनमानों को एक दशक से भी अधिक समय पहले संशोधित किया गया था। याचिकाकर्ताओं को दी गई संशोधित वेतनमान की राशि उनके सेवानिवृत्ति लाभ और पेंशन से वसूली जा रही है। कुछ याचिकाकर्ताओं की यह राशि पहले ही वसूल की जा चुकी है। यह याचिकाकर्ताओं के साथ अन्याय है। पीठ ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा कि यह निर्विवाद है कि इनमें से किसी भी याचिकाकर्ता ने कोई धोखाधड़ी नहीं की है। वे अपने वेतनमानों के गलत संशोधन में व्यक्तिगत रूप से शामिल नहीं थे और न ही उन्होंने रिकॉर्ड में हेराफेरी करके गलत संशोधन की साजिश रची। उनके खिलाफ धोखाधड़ी या छल का कोई आरोप नहीं है।
पीठ ने कहा कि वेतनमान संशोधित किए जाने पर इन याचिकाकर्ताओं से कोई वचनबद्धता नहीं ली गई थी। उनमें से कुछ से वचनबद्धता उनकी सेवानिवृत्ति के समय ली गई थी। इस तरह के वचनबद्धता में उस वचनबद्धता की समान पवित्रता नहीं होगी, जो संशोधित वेतनमान का भुगतान शुरू होने पर क्रियान्वित की गई थी। पीठ ने कहा कि याचिका स्वीकार की जाती है। सेवानिवृत्ति अध्यापकों और कर्मचारियों की विधवाओं के खिलाफ जिला परिषद के आदेशों को रद्द कर दिया जाता है। याचिकाकर्ताओं से वसूली गई राशि 90 दिनों के ब्याज सहित भुगतान की जाए।