Mumbai News: माता-पिता के बीच झगड़े का बच्चों पर पड़ रहा प्रतिकूल प्रभाव, शुरू है टोल फ्री हेल्पलाइन
- अक्टूबर, 2022 में शुरू की गई टोल फ्री हेल्पलाइन
- टेलीमानस पर हर दिन आते हैं औसतन 267 कॉल
- 1.3 प्रतिशत कॉल 12 साल से कम उम्र के बच्चे करते हैं
Mumbai News : मोफीद खान। माता-पिता के बीच अक्सर होनेवाले झगड़े का बच्चों को दिलो-दिमाग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। बेफिक्री और खेलने-कूदने की उम्र में मासूमों को मानसिक बीमारियां जकड़ रही हैं। राज्य सरकार की ओर से शुरू की गई टेलीमानस हेल्पलाइन सेवा के आंकड़े इस पर मुहर लगाते हैं। पिछले कुछ महीने में 1,200 से अधिक बच्चों ने इस हेल्पलाइन पर कॉल कर काउंसलर को अपनी पीड़ा बताई है। इससे पता चला कि घरेलू कलह की वजह से बच्चे बैचेनी, डिप्रेशन और मानसिक तनाव जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत केंद्र सरकार के निर्देश पर राज्य में अक्टूबर, 2022 में टोल फ्री टेलीमानस हेल्पलाइन (नंबर14416) शुरू की गई। इस हेल्पलाइन पर अब तक करीब एक लाख कॉल आ चुके हैं। इनमें से 1.3 प्रतिशत यानी 1,266 कॉल 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के हैं।
रोजाना औसतन 4 कॉल करते हैं बच्चे
राज्य स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार टेलीमानस पर प्रति दिन औसतन 267 कॉल आते हैं। रोजाना औसतन 4 कॉल बच्चों के आते हैं। स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के अतिरिक्त निदेशक डॉ. स्वप्निल लाले ने कहा कि यह चिंताजनक बात है। इससे पता चलता है कि बच्चे भावनात्मक कठिनाइयों से जूझ रहे हैं।
पढ़ाई-लिखाई के लिए दबाव
कुछ बच्चों ने पढ़ाई-लिखाई के लिए परिजन की ओर से अनावश्यक दबाव की शिकायत की है। कई बच्चों ने परीक्षा के दबाव की बात भी कही है। करियर विकल्पों के बारे में अनिश्चितता ही नहीं मनचाहे स्कूल में प्रवेश न मिलने पर भी ये मासूम परेशान रहते हैं।
मन पर पड़ता है गहरा असर
केईएम अस्पताल की पीडियाट्रिक मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. नीना सावंत ने बताया कि समाज का हर वर्ग मानसिक स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित है। बचपन की घटनाओं का बच्चों के मन पर गहरा आघात होता है। जीवन भर उनके मन में भय बना रहता है।
बच्चों के सामने झगड़ा न करें
डॉ. सावंत ने कहा कि घरेलू कलह की दशा में माता-पिता को सावधानी बरतनी चाहिए। बच्चों के सामने झगड़ा नहीं करना चाहिए। उन्होंने एक 35 वर्षीय शख्स का हवाला दिया, बचपन के डर से अब तक नहीं उबरा है। ऐसे कई मामले हो सकते हैं।
उनके साथ अच्छा व्यवहार करें
टेलीमानस के एक काउंसलर ने कहा कि माता-पिता सहित सभी परिजन को बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। क्योंकि बच्चे संवेदनशील होते हैं। परिवार से वे बहुत कुछ सीखते हैं। जैसा परिवार में देखते हैं, वे वैसा ही करते हैं। हम अनुशासित रहेंगे तो बच्चे जीवन में अनुशासन का पालन करेंगे। आपसी मतभेद का गुस्सा बच्चों पर नहीं उतारना चाहिए।