Mumbai News: भारतीय संस्कृति में रची 7 साल की बच्ची को एनआरआई पिता को नहीं सौंप सकते

  • अदालत ने बंदी प्रत्यक्षीकरण (हैबियस कार्पस) याचिका की खारिज
  • 7 साल की बच्ची को भारतीय मूल के अमेरिकी (एनआरआई) पिता को नहीं सौंपा जा सकता

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-29 15:58 GMT

Mumbai News : बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि भारतीय संस्कृति में रच-बस गई 7 साल की बच्ची को भारतीय मूल के अमेरिकी(एनआरआई) पिता को नहीं सौंपा जा सकता है। बच्ची का कल्याण उसकी मां के साथ रहने में निहित है। अदालत ने पिता की बंदी प्रत्यक्षीकरण (हैबियस कार्पस) याचिका को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की पीठ के समक्ष एनआरआई शिशिर कमलनयन शिरोलकर की ओर से बिमल राजशेखर की दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण (हैबियस कार्पस) याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में पिता ने भारत में अपनी मां के साथ रह रही 7 साल की बेटी को उसे सौंपने का अनुरोध किया गया था। पीठ ने कहा कि जब बेटी को उसकी मां भारत लेकर आई थी, तब वह ढाई साल की थी। अब वह साढ़े छह साल की हो गई है। चार वर्षों में उसने भारत में अपनी जड़ें जमा ली हैं, क्योंकि वह अपनी मां और अपने नाना-नानी के साथ रह रही है। यहां की वह भारतीय संस्कृति में रच-बस गई है। पीठ ने आगे कहा कि उसे सेवारत पिता के पास रहने के लिए अमेरिका नहीं भेजा जा सकता है, क्योंकि वहां बच्ची की देखभाल करने वाला कोई नहीं है। बच्ची के कल्याण को ध्यान में रखते हुए उसे पिता को नहीं सौंप सकते हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि बच्ची के पिता स्थाई रूप से अमेरिका में रहते हैं। बच्ची का जन्म भी अमेरिका में ही हुआ था। इस तरह वह अमेरिका नागरिक है। उसके नागरिकता और पासपोर्ट की मियाद खत्म हो गई है। जब वह ढाई साल की थी, तो उसकी मां उसे लेकर अपनी बीमार मां की सेवा करने के लिए भारत आ गई। तब से वह मां और नाना-नानी के साथ ही रह रही है।

क्या है पूरा मामला

वर्ष 2006 में शिशिर शिरोलकर और प्राची (बदला हुआ नाम) की तब मुलाकात हुई थी, जब वे टेक्सास के विश्वविद्यालय में अपनी मास्टर की पढ़ाई कर रहे थे। दोनों तीन वर्षों तक रिश्ते में रहने के बाद टेक्सास के हैरिस काउंटी में एक नागरिक समारोह में विवाह किया था। उनके परिवारों ने भारत में अपने-अपने रिश्तेदारों के लिए रिसेप्शन समारोह आयोजित किया था। वहां बच्ची का जन्म अमेरिका के 30 नवंबर 2017 में हुआ। उसका 13 जुलाई 2023 अमेरिकी पासपोर्ट जारी किया गया। वह 20 सितंबर 2020 को अपनी बीमार मां की देखरेख के लिए बच्ची को लेकर भारत आ गई। शिशिर की पत्नी ने 30 सितंबर 2020 को याचिकाकर्ता को उसके लिए नए अमेरिकी वीजा के लिए आवेदन करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।

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