Mumbai News: मतदाताओं को मतदान केन्द्र पर फोन ले जाने की अनुमति देने को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका
- याचिका में मतदाताओं को डिजीलॉकर एप्लीकेशन के माध्यम से पहचान प्रमाण दिखाकर प्रवेश की अनुमति देने का अनुरोध
- 18 नवंबर को होगी याचिका पर सुनवाई
Mumbai News : बॉम्बे हाई कोर्ट में मतदाताओं को मतदान केन्द्र पर फोन ले जाने की अनुमति देने को लेकर याचिका दाखिल की गई है। अदालत ने मंगलवार को कहा कि वह 18 नवंबर को आम मतदाताओं को मतदान केन्द्र पर अपना मोबाइल फोन ले जाने और डिजीलॉकर एप्लीकेशन के माध्यम से अपना पहचान प्रमाण दिखाकर प्रवेश की अनुमति देने संबंधी याचिका पर सुनवाई करेगा।मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ के समक्ष वकील और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) में राजनीतिक रूप से सक्रिय उजाला यादव की ओर से याचिका दायर की गई है। राज्य विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को होने का हवाला देते हुए तत्काल सुनवाई के लिए याचिका में अनुरोध किया गया। पीठ ने भारत के चुनाव आयोग के स्थायी वकील को 18 नवंबर को सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखने के लिए उपस्थित होने का निर्देश दिया। याचिका में दावा किया गया कि चुनाव अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति है, जबकि मतदाताओं को इसकी अनुमति नहीं है, जो संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। मतदाताओं को मतदान केंद्रों के अंदर अपने मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं है। इसलिए इससे कई लोगों को असुविधा होती है और इसके कारण वरिष्ठ नागरिक, महिलाएं या अन्य व्यक्तियों को अकेले मतदान केंद्रों पर जाना पड़ता है। वे मोबाइल के बिना मतदान करने से जाने बचते हैं। चुनाव आयोग ने 14 जून 2023 को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य चुनाव कार्यालयों को संबोधित करते हुए एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि आयोग द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षकों, अधिकृत चुनाव और पुलिस अधिकारियों के अलावा किसी भी व्यक्ति को मतदान केंद्रों के 100 मीटर की परिधि के भीतर मोबाइल फोन, वायरलेस सेट ले जाने या उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि मोबाइल फोन अब संचार और डिजिटलीकरण के लिए एक तरह की आवश्यकता बन गए हैं। इसलिए मतदान केंद्र में मोबाइल फोन की अनुमति नहीं देना और मतदाताओं को राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन के माध्यम से भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा अनुमोदित और पेश किए गए डिजीलॉकर एप्लिकेशन के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जारी किए गए सत्यापित पहचान दस्तावेजों की सॉफ्ट कॉपी दिखाने की अनुमति नहीं देना आम मतदाताओं के अधिकारों का उल्लंघन है। सरकार की वेबसाइट पर मौजूद डेटा के अनुसार 321 मिलियन से अधिक लोग डिजीटल लॉकर एप्लिकेशन का उपयोग करते हैं और विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा डिजीलॉकर पर 7.76 बिलियन से अधिक दस्तावेज जारी किए जाते हैं।