Mumbai News: मिशन ब्रेन अटैक - मरीजों की जान बचाने राष्ट्रीय मुहिम शुरू, जानिए क्या है खास

  • हर साल 15 लाख से ज्यादा लोग ब्रेन स्ट्रोक की चपेट में आते हैं
  • मरीजों की जान बचाने राष्ट्रीय मुहिम शुरू

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-07 00:30 GMT

Mumbai News : महाराष्ट्र समेत देश में हर साल 15 लाख से ज्यादा लोग ब्रेन स्ट्रोक की चपेट में आते हैं। इन ब्रेन स्ट्रोक पीड़ितों को गोल्डन आवर में किस तरह का उपचार उनकी जान बचाना चाहिए। इसके लिए इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन ने मिशन ब्रेन अटैक नामक राष्ट्रव्यापी मुहिम चलाई है। एसोसिएशन ने इसकी शुरुआत रविवार को नई मुंबई में भी की है। इसे मिलाकर अभी तक देश के 10 शहरों में इस मुहिम की शुरुआत हो चुकी है। इस मुहिम के तहत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों में कार्यरत फिजिशियनों को ब्रेन स्ट्रोक आने पर मरीजों को गोल्डन आवर में किस तरह से ट्रीटमेंट दी जानी चाहिए, इसकी ट्रेनिंग दी जा रही है। इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. निर्मल सुर्या ने कहा कि ब्रेन स्ट्रोक में दर्द नहीं होता, इसलिए लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं। उन्होंने बताया कि शहरी भागों में जहां रोजाना स्ट्रोक के 150 मरीज वहीं ग्रामीण में 220 मरीज ब्रेन स्ट्रोक के मिल रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि इसे लेकर लोगों में जागरूकता की कमी है। इसके अलावा समय पर मरीजों के अस्पताल में नहीं पहुंचने से लोगों की जान का जोखिम भी बढ़ रहा है। इसलिए अस्पतालों में मरीज के पहुंचने के बाद गोल्डन आवर में किस तरह का उपचार दिया जाना चाहिए इसकी ट्रेनिंग फिजिशियनों को दी जा रही है। उन्होंने कहा कि मिशन ब्रेन अटैक मुहिम के तहत अब तक देश के विभिन्न शहरों में 2500 से 3000 हजार डॉक्टरों को थ्रोंबोसिस समेत इलाज की अन्य ट्रेनिंग दी गई है। इसके साथ ही जनता में भी जागरूकता पैदा की जा रही है ताकि स्ट्रोक आने की स्थिति में इलाज के लिए उन्हें कहां जाना चाहिए।

न्यूरोलॉजिस्ट की संख्या है कम

डॉ. सूर्या के मुताबिक मुंबई समेत पूरे देश में जिस तरह से आबादी के साथ ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़ रहे हैं, उसकी तुलना में न्यूरोलॉजिस्टों की संख्या बहुत कम है। इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. निर्मल सूर्या ने कहा कि देश में 140 करोड़ की आबादी के पीछे केवल चार हजार ही न्यूरोलॉजिस्ट हैं। दूसरी तरफ चीन में यह संख्या 50 हजार के आस-पास है। उन्होंने कहा कि देश में हर साल केवल 300 ही नए न्यूरोलॉजिस्ट बढ़ रहे हैं, जो आबादी की तुलना में बहुत ही कम है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की बात करें तो 500 ही न्यूरॉलॉजिस्ट हैं, जिसमें मुंबई में 150 और पुणे में 150, जबकि अन्य जिलों में कही एक तो कहीं यह संख्या तीन है।

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