इंडिया गठबंधन की मुंबई बैठक पर है मायावती की नजर

  • बन सकता है बसपा-रालोद-एमआईएम का नया गठजोड़
  • मुंबई बैठक पर है मायावती की नजर
  • गठबंधन कर फायदे में रहती है बसपा

Bhaskar Hindi
Update: 2023-07-23 15:17 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली, अजीत कुमार। बसपा सुप्रीमों मायावती ने भले ही भाजपा नीत एनडीए और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ से समान दूरी बनाए रखते हुए चुनाव में अकेले जाने की घोषणा की है, लेकिन माना जा रहा है कि उनकी नजर मुंबई में होने वाली विपक्षी गठबंधन की बैठक पर है। जानकार बताते हैं कि बसपा की अंदरखाने कांग्रेस के नेताओं से बातचीत शुरू हुई थी, लेकिन सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की ठंढी प्रतिक्रिया के बाद इस पर ‘ब्रेक’ लग गया है।

ऐसे में मायावती ‘वेट एंड वाच’ की स्थिति में हैं। जानकार बताते हैं कि विपक्षी गठबंधन में सीटों को लेकर होने वाले घमासान से बसपा को उम्मीदें है। बसपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि यदि बसपा इंडिया गठबंधन से दूर रही और सीटों को लेकर राष्ट्रीय लोकदल के जयंत चौधरी की भी वहां बात नहीं बनी तो उत्तरप्रदेश में एक नया गठबंधन आकार ले सकता है। इस गठबंधन में मायावती की बसपा, जयंत चौधरी का रालोद और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम शामिल हो सकती है। यदि ऐसा हुआ तो पश्चिमी उत्तरप्रदेश में दलित, जाट और मुसलमान वोटबैंक में सेंधमारी करके मायावती न केवल लोकसभा में अपनी सीटें बचाए रख सकती हैं, बल्कि विपक्षी गठबंधन को झटका भी दे सकती हैं। बता दें कि ओवैसी बिहार में बसपा के साथ गठबंधन कर चुके हैं। गठबंधन में भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद रावण भी शामिल हो सकते हैं।

गठबंधन कर फायदे में रहती है बसपा

दरअसल मायावती को पता है कि अकेले चुनाव में जाने के बाद उनका क्या हश्र होगा? 2014 का उदाहरण सामने है जब 19 फीसदी दलित वोटबैंक के बावजूद बसपा को एक भी लोकसभा सीट नसीब नहीं हुई थी। वहीं 2019 चुनाव में जब बसपा ने सपा और रालोद के साथ गठबंधन किया तो लोकसभा की 10 सीटें उसकी झोली में आ गई। हालांकि तब इस गठबंधन का सपा को फायदा नहीं मिला था और वह 5 सीट पर ही सिमटी रह गई। यही वजह है कि अखिलेश यादव इस बार बसपा को साथ लाने को उत्सुक नहीं हैं।

जयंत के सामने है अस्तित्व का संकट

जयंत चौधरी के सामने फिलहाल अस्तित्व बचाने का सवाल है। उन्हें लोकसभा में अपना खाता खोलना है। सूत्र बताते हैं कि इंडिया गठबंधन में वे कम-से-कम 8 लोकसभा सीटें चाहते हैं। यदि उन्हें इतनी सीटें नहीं मिली तो वे गठबंधन से बाहर आ सकते हैं। जयंत के एक करीबी नेता ने बताया कि माया और ओवैसी के साथ होने से जाट के साथ दलित और मुस्लिम मतदाता उनसे जुड़ेंगे, जिसका उन्हें फायदा मिलेगा। इसके साथ ही बसपा और रालोद मिलकर राजस्थान चुनाव में भी उम्मीदवार उतार सकते हैं।

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