बीएमसी घोटालों की लंबी फेहरिस्त, ईडी जांच के बाद भी जारी है भ्रष्टाचार
- टेंडर प्रक्रिया रोक अस्पतालों को ज्यादा कीमत पर दवा खरीदने की दी अनुमति
- बॉडी बैग खरीदने पर उठे सवाल
डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुंबई में कोविड संक्रमण के दौरान किए गए कथित घोटालों को लेकर मुंबई पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने मनपा अतिरिक्त आयुक्त, उपायुक्त सहित पूर्व महापौर पर एफआईआर दर्ज की है। यह एफआईआर इस बात की पुष्टि कर रही हैं कि कोविड में मनपा आयुक्त को मिले पेंडेमिक विशेषाधिकार का उपयोग मनपा में ऊंची दरों पर दवाओं और उपकरणों की खरीद के लिए किया गया। कैग की रिपोर्ट के बाद ईडी ने कार्रवाई शुरू की थी। उसके बाद भी मनपा दवाओं के शेड्यूल रोक कर लोकल परचेज कर करप्शन को बढ़ावा दे रही है।
बॉडी बैग खरीदने पर उठे सवाल
एफआईआर में पूर्व महापौर किशोरी पेडणेकर के साथ उस कंपनी का भी नाम शामिल है, जिसे कोविड के दौरान बॉडी बैग खरीदने का ठेका दिया गया था। जिस वेदांता इनोटेक प्राइवेट लिमिटेड से बॉडी बैग की खरीद की गई थी, उसी कंपनी ने कोविड के दौरान दिल्ली में केवल 1500 रुपए में बॉडी बैग उपलब्ध कराए थे, जबकि मुंबई में बॉडी बैग 6800 रुपए प्रति नग की दर से खरीदे गए। कोविड के दौरान घोटालों की फेहरिस्त भी लंबी रही है। लेकिन जिस पर सबसे ज्यादा उंगली उठी है, उसमें बॉडी बैग, रेमडेसिवीर और ऑक्सीजन कॅान्संट्रेटर की खरीद भी शामिल है। मनपा अधिकारी भी यह स्वीकार करते हैं कि इन तीन दवाओं की खरीद कई गुना अधिक दाम पर की गई।
लोकल परचेज में बड़ा घोटाला
हर साल मुंबई मनपा के अस्पतालों में1200 करोड़ रुपए की दवाओं की खरीद की जाती है। इसमें मनपा मध्यवर्ती खरीद विभाग लगभग 200 से 250 करोड़ की दवाएं खरीदता है, जबकि अस्पतालों को स्थानीय मेडिकल स्टोर से दवा खरीदने का अधिकार दिया जाता है। अस्पताल स्थानीय स्तर पर 950 करोड़ रुपए की दवाएं खरीदते हैं। अस्पतालों में मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदने के लिए प्रिस्क्रिप्शन लिख कर दे दिया जाता है। मनपा अधिकारी ने बताया कि दवाओं की खरीद ऑन पेपर पर सही रहती है, लेकिन सबसे बड़ा घोटाला उसी में दिखाया जाता है। 400 टैबलेट की जगह केवल 100 टैबलट ही आपूर्ति की जाती है। यह अस्पताल और लोकल सप्लायरों की सांठ-गांठ से किया जाता है।
हॉफकिन ने प्रति एन 95 मास्क 5.51 रुपए में सरकारी अस्पतालों को सप्लाई किया, जबकि वही मास्क मनपा अस्पतालों ने लोकल परचेज के तहत 14.86 रुपए में खरीदा। इसी तरह दूसरी दवाओं को कई गुना कीमत पर खरीद कर मनपा को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इसका खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ रहा है।
अभय पांडे, अध्यक्ष-ऑल फूड एंड ड्रग्स लाइसेंस होल्डर फाउंडेशन के मुताबिक मनपा दवा आपूर्ति करने वाले सप्लायर इसके लिए मनपा सीपीडी विभाग को जिम्मेदार बताते हैं। जब मनपा को सप्लायर्स कम कीमत पर दवा आपूर्ति करने को तैयार हैं, तो अस्पतालों को महंगी कीमत पर दवाओं को लोकल परचेज की अनुमति सीपीडी विभाग क्यों देता है। टेंडर का समय खत्म होने से पहले नया टेंडर जारी करना चाहिए, लेकिन जानबूझकर उसमें देर की जाती है, जिससे अस्पताल लोकल परचेज करते रहें।