शहद महोत्सव: राज्य में शहद उत्पादन और खपत बढ़ाने की कोशिश
- मुंबई में 18, 19 जनवरी को शहद महोत्सव
- एक किलो जहर की कीमत एक करोड़
- देश की सीमा की रक्षा करेंगी मधुमक्खियां
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य में शहद उत्पादन और खपत को गति देने के लिए महाराष्ट्र राज्य खादी ग्रामोद्योग मंडल पहली बार शहद महोत्सव आयोजित करेगा। आगामी 18 और 19 जनवरी को यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान में होने वाले महोत्सव के दौरान लोगों को शहद के उत्पादन, मार्केटिंग, ब्रांडिंग के बारे में जानकारी दी जाएगी। जाने माने सेफ विष्णु मनोहर शहद से बनाए जाने वाले व्यंजनों की रेसेपी भी लोगों को सिखाएंगे साथ ही शहद उत्पाद किसान यहां 24 स्टाल लगाएंगे। बुधवार को मुंबई में पत्रकारों से बातचीत के दौरान महाराष्ट्र राज्य खादी ग्रामोद्योग मंडल अध्यक्ष रवींद्र साठे ने कहा कि फिलहाल राज्य में 1079 गांवों में 4539 किसान शहद का उत्पादन करते हैं। किसान 32500 पेटियों के जरिए शहद का उत्पादन कर रहे हैं। पिछले वर्ष राज्य में 1 लाख 60 हजार किलो शहद का उत्पादन हुआ था। साठे ने कहा कि हमारी कोशिश है कि राज्य में शहद क्रांति लाई जाए क्योंकि इससे बड़ी संख्या में किसानों की आय बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि हम किसानों को प्रति किलो शहद के लिए सबसे ज्यादा 500 रुपए देते हैं। शहद सेहत के लिए भी अच्छा है और मधुमक्खी पर्यावरण के लिहाज से बेहद अहम है। उन्होंने कहा कि खासतौर पर विदर्भ, पश्चिम महाराष्ट्र और कोंकण में शहद उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। मंडल की मुख्य कार्यकारी अधिकारी आर विमला ने कहा कि हम शक्कर की जगह मिठास के लिए शहद का इस्तेमाल कर सकते हैं जो सेहत के लिए बेहद लाभकारी है। मंडल बड़ी संख्या में किसानों को अपने साथ जोड़ रहा है। हम मधुबन नाम के ब्रांड के तहत शहद बेचते हैं और अच्छी गुणवत्ता के चलते इसकी काफी मांग भी है। इसीलिए हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा किसान मंडल से जुड़े। शहद उत्पादन के इच्छुक लोगों को मुफ्त प्रशिक्षण के साथ सरकार की ओर से अनुदान भी दिया जाता है। राज्य में फिलहाल एक शहद गांव है मंडल की कोशिश हैं कि इनकी संख्या बढ़ाई जाए।
एक किलो जहर की कीमत एक करोड़
साठे ने बताया कि मधुमक्खी का जहर दवाइयां बनाने के काम आता है और एक किलो जहर की कीमत 1 करोड़ रुपए से ज्यादा है। हम किसानों को इस बात का भी प्रशिक्षण देते हैं कि मधुमक्खी को नुकसान पहुंचाए बिना उसका जहर कैसे निकाला जाए। इसके अलावा मोम, पराग, रॉयलजेली जैसे उत्पाद भी मिलते हैं जिन्हें बेंचकर अच्छी कमाई की जा सकती है।
देश की सीमा की रक्षा करेंगी मधुमक्खियां
साठे ने कहा कि मधुमक्खियों की इस्तेमाल देश की सीमा की रक्षा के लिए भी करने की योजना है। जिन इलाकों से घुसपैठ का डर होता है वहां मधुमक्खियों की पेटियां रख जी जाएंगी। जैसे ही मधुमक्खियां घुसपैठियों की ओर से हलचल महसूस करेंगी उन पर गमला कर देंगी।