वलसाड स्टेशन पर उतरना चाहता था चेतन, चल रहा था बीमारी का इलाज, परिजन तक को पता ही नहीं
- हाइड्रोसील बामारी के कारण उसे हो रहा था असहनीय दर्द
- वलसाड स्टेशन पर उतरना चाहता था चेतन
- कंट्रोल रूम में कॉल करने की जिद की
डिजिटल डेस्क, मुंबई, अखिलेश तिवारी /सुजीत गुप्ता। जयपुर-मुंबई सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन में 31 जुलाई की सुबह हुई गोलीबारी के बाद चेतन सिंह जीआरपी की हिरासत में है। उससे लगातार पूछताछ जारी है। दैनिक भास्कर को एक भरोसेमंद सूत्र ने बताया कि चेतन पार्टी इंचार्ज टीकाराम मीणा की बात नहीं मान रहा था और तबियत खराब होने के कारण वलसाड स्टेशन पर उतारने की जिद कर रहा था। लेकिन ट्रेन का वलसाड में स्टॉप ही नहीं है। जीआरपी इस सवाल का जबाव ढूंढने में लगी है। चेतन ने ट्रेन में अपने प्रभारी इंचार्ज मीणा को यह नहीं बताया कि उसे हाइड्रोसील की परेशानी है।
कंट्रोल रूम में कॉल करने की जिद की
चेतन ने पार्टी इंचार्ज मीणा की आराम करने की सलाह नहीं मानी और कंट्रोल रूम में कॉल करने की जिद की। मजबूरन टीकाराम मीणा ने खुद अपने वरिष्ठ अधिकारी को आधी रात में फोन कर पूरा वाक्या बयान किया। कंट्रोल रूम में वरिष्ठ अधिकारी को चेतन ने बताया था कि उसे हाइड्रोसील की शिकायत है, जिससे उसे असहनीय दर्द हो रहा है। अधिकारी ने चेतन को सलाह दी कि वह हथियार दूसरे हवलदार के पास देकर दोनों पैर ऊपर की तरफ कर किसी बर्थ पर लेट जाए। बोरीवली स्टेशन पर मेडिकल टीम उसे चेक कर लेगी। अधिकारी ने बोरीवली स्टेशन पर उसके मेडिकल ट्रीटमेंट का इंतजाम भी करवा दिया था। लेकिन थोड़ी देर के बाद ही अधिकारी को फोन आया कि चेतन ने चलती ट्रेन में फायरिंग कर दी है।
20 लोगों से पूछताछ की
इस मामले में जीआरपी ने अब तक 20 लोगों से पूछताछ की है। एजेंसी को कोच नंबर बी-5 के सीट नंबर 72 के उस यात्री के बयान की दरकार है, जिसने टीकाराम मीणा और यात्री भानपुरा वाला की मौत को प्रत्यक्ष देखा था।
चल रहा था इलाज, परिजन को पता ही नहीं था
आरोपी आरपीएफ जवान चेतन सिंह का इलाज भी चल तरह था, यह जानकारी कभी रेलवे को पता ही नहीं थीं। पश्चिम रेलवे आरपीएफ के प्रिंसिपल चीफ सिक्योरिटी कमिश्नर पी. सी. सिन्हा ने दैनिक भास्कर को बताया कि चेतन का कोई इलाज चल रहा है, इसकी जानकारी न कभी घर वालों से मिली और न ही कभी चेतन सिंह ने खुद दी। यदि वह बताता, तो जगजीवन राम अस्पताल में अच्छे से उसका इलाज कराते। चेतन के परिवार वालों ने या फिर खुद चेतन ने इसकी जानकारी रेलवे को क्यों नहीं दी, इस पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं। यह जानकारी पहले से पता होती, तो संभवतया इस घटना को रोका जा सकता था। चेतन सिंह के परिजन से अधिकारियों ने जो बात की है, उसमे यह जानकारी सामने आई है।
कुछ साल पहले सिर में लगी थी चोट
घर वालों से पूछताछ में पता चला कि कुछ साल पहले घर की दहलीज पर फिसलकर गिरने से चेतन सिंह के सिर पर चोट आई थी। उस समय तो उसे कुछ नहीं हुआ, लेकिन कुछ साल के बाद उसके सिर में अचानक सूजन और दर्द शुरू होने लगा। जांच करने पर पता चला कि उसके सिर में ब्लड क्लॉट हो गया है। अधिकारी ने बताया कि उस दौरान चेतन का इलाज भी किया गया, लेकिन कुछ बातों को उसे भूलने की शिकायत भी होने लगी। इस सब का इलाज चल रहा था। वहीं, रेलवे बोर्ड ने कहा है कि आरोपी आरपीएफ कॉन्स्टेबल चेतन सिंह की नियमित चिकित्सा जांच में कोई गंभीर मनोविकार नहीं पाया गया था।
जवानों के स्ट्रेस और छुट्टियों पर रेलवे देगी विशेष ध्यान
इस हादसे के बाद जीआरपी के अलावा रेलवे ने भी पांच सदस्यों की समिति गठित की है। इस समिति की मंगलवार को पहली मीटिंग हुई। मीटिंग में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए उपाय और योजनाओं पर चर्चा हुई। समिति के सदस्यों ने अपने सुझाव रखे हैं। रेलवे के भरोसेमंद अधिकारी ने बताया कि पहली बैठक में विशेषकर जवानों को होने वाले स्ट्रेस और छुट्टियों पर फोकस किया गया है। इसलिए इस टीम में एक डॉक्टर और पर्सनल के अधिकारियों को शामिल किया गया है।