मनी लॉन्ड्रिंग मामला: खिचड़ी घोटाले का मामले में चव्हाण की याचिका खारिज, सेशन कोर्ट का इनकार
- आदित्य ठाकरे के करीबी सहयोगी सूरज चव्हाण को राहत नहीं
- सेशन कोर्ट ने याचिका कर दी खारिज
डिजिटल डेस्क, मुंबई, महानगरपालिका (बीएमसी) के खिचड़ी घोटाले के आरोपी शिवसेना (उद्धव गुट) नेता आदित्य ठाकरे का करीबी सहयोगी सूरज चव्हाण को सेशन कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने चव्हाण की जमानत याचिका खारिज कर दी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उसे इस साल 17 जनवरी को खिचड़ी घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था। विशेष न्यायाधीश ए.सी.डागा के समक्ष सूरज चव्हाण की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने चव्हाण की याचिका खारिज करते हुए कहा कि चव्हाण के खिलाफ अपराध में संलिप्तता के पर्याप्त सबूत हैं। घोटाले में शामिल कंपनी फोर्स वन मल्टी सर्विसेज को बीएमसी के अधिकारियों द्वारा टेंडर दिया गया था। यह कथित तौर पर चव्हाण के इशारे पर किया गया था। अदालत ने खिचड़ी के ठेकों से प्राप्त आय को चव्हाण के बैंक खाते में स्थानांतरित करने के बारे में चिंता जताई। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि बीएमसी को धोखा देने के बाद अर्जित की गई राशि अपराध की आय के रूप में गिनी जानी चाहिए। यह मामला प्रिवेंशन आफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत आता है।
बीएमसी ने कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान प्रवासियों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए फोर्स वन मल्टी सर्विसेज को 8 करोड़ 64 लाख रुपए ट्रांसफर किया था। आरोप है कि इस पैसे का एक हिस्सा कथित तौर पर सूरज चव्हाण के बैंक खाते में गया था। उससे संपत्ति खरीदी गई थी। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा अग्रीपाड़ा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किए जाने के बाद ईडी ने अपनी जांच शुरू की। ईडी ने 17 जनवरी 2014 को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में युवा सेना के कोर कमेटी के सदस्य चव्हाण गिरफ्तार किया था