पशोपेश: शिवसेना के दोनों गुटों ने अपने साथी दलों की मुश्किलें बढ़ाई
- दोनों ही गठबंधनों (युति एवं आघाडी) में लोस सीटों के बंटवारे को लेकर फंसा हुआ है पेंच
- दोनों गुटों ने अपने साथी दलों की मुश्किलें बढ़ाई
डिजिटल डेस्क, मुंबई, सोमदत्त शर्मा। आगामी लोकसभा चुनाव होने में कुछ ही महीने बचे हैं। इसको लेकर राज्य के सभी राजनीतिक दलों ने अपनी अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। महाराष्ट्र में जहां भाजपा, शिवसेना (शिंदे) एवं राकांपा (अजित) एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव) और राकांपा (शरद) एक साथ चुनाव लड़ने की कोशिश में हैं। दोनों ही गठबंधन पिछले काफी समय से राज्य में लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत कर रहे हैं लेकिन अभी तक दोनों ही गठबंधन के दलों में सीटों के बंटवारे को लेकर आम सहमति नहीं बन पाई है। उद्धव गुट जहां 23 सीटों पर दावा ठोक चुका है, वहीं शिंदे गुट 22 सीटों की मांग दोहरा चुका है। लेकिन सीटों के बंटवारे पर आम सहमति नहीं बन सकी है।
महाविकास आघाडी में सीटों के बंटवारे को लेकर तनातनी पिछले कई दिनों से जारी है। शिवसेना (उद्धव) सांसद एवं प्रवक्ता संजय राऊत कई बार यह बात दोहरा चुके हैं कि उनकी पार्टी ने पिछला लोकसभा चुनाव 23 सीटों पर लड़ा था, जिसमें हमने 18 सीटें जीती थीं। संजय राऊत इसी बात पर अड़े हुए हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में हम 23 सीटों से कम पर चुनाव लड़ने के पक्ष में नहीं हैं। हालांकि इसको लेकर पार्टी की तरफ से आधिकारिक तौर पर अभी तक कुछ नहीं कहा गया है। उधर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले पिछले दो दिनों से दिल्ली में आलाकमान के साथ बैठक कर महाराष्ट्र के घटनाक्रम पर चर्चा कर रहे हैं। हालांकि नाना पटोले ने संजय राऊत की 23 सीटों की मांग को ठुकराते हुए कहा कि सीटों का बंटवारा पार्टी के प्रमुख नेताओं के हाथ में है। ऐसे में राऊत को सोच समझ कर बयान देने की जरूरत है। इस तरह की बयानबाजी से दोनों ही दलों को नुकसान हो सकता है।
उधर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे लोकसभा चुनाव का नारियल फोड़ने की तैयारी में हैं। जिसके तहत शिंदे 6 जनवरी से राज्य की 16 लोकसभा सीटों पर चुनाव प्रचार करने की शुरुआत करने वाले हैं। एकनाथ शिंदे उन सभी 16 लोकसभा सीटों पर चुनाव प्रचार करेंगे जो इस समय शिवसेना के कब्जे में हैं। शिवसेना के नेता कई बार दावा कर चुके हैं कि उनकी पार्टी राज्य में 22 सीटों पर चुनाव लड़ेगी । शिवसेना (शिंदे) प्रवक्ता कृष्णा हेगडे का कहना है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पहले ही कह चुके हैं कि राज्य में चुनाव युति गठबंधन में चुनाव लड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री शिंदे सिर्फ शिवसेना ही नहीं बल्कि भाजपा और अजित गुट के उम्मीदवारों के लोकसभा क्षेत्र में भी चुनाव प्रचार करने के लिए जाएंगे। हालांकि सीटों के बंटवारे पर फैसला मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, भाजपा और अजित पवार बैठकर करेंगे।
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य में 25 सीटों पर चुनाव लड़ा था। जिसमें उसे 23 पर जीत मिली थी। जबकि शिवसेना (अविभाजित) ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था जहां उन्होंने 18 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं कांग्रेस ने 25 सीटों पर चुनाव लड़कर सिर्फ एक सीट जीती थी, वहीं शरद पवार की राकांपा ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें चार पर उन्हें जीत हासिल हुई थी। एक सीट असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी (एआईएमआईएम) को मिली थी। जबकि नवनीत राणा निर्दलीय के तौर पर चुनाव जीती थीं। इस समय एकनाथ शिंदे के पास 13 सांसदों का समर्थन है। इसके आधार पर वह 22 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
टिकट मिला तो लोकसभा चुनाव लड़ूंगा- एकनाथ खडसे
राकांपा (शरद) विधायक एवं पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे ने लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। खड़से का कहना है कि अगर उनकी पार्टी ने मुझे रावेर लोकसभा सीट से टिकट दिया तो मैं चुनाव लड़ने के लिए तैयार हूं। उन्होंने कहा कि इस साल लोकसभा और विधानसभा का चुनाव होने हैं, ऐसे में मेरी कोशिश अपनी पार्टी को ज्यादा से ज्यादा सफलता दिलाना है। ऐसे में अगर भाजपा ने एकनाथ खड़से की बहू रक्षा खड़से को फिर से उम्मीदवार बनाया और उधर शरद गुट ने एकनाथ खड़से को टिकट दे दिया तो रावेर में ससुर और बहू के बीच लड़ाई देखने को मिल सकती है।