बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा - मां से हर किसी को मिलने की इजाजत, बेटी को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश
- मां से हर किसी को मिलने की इजाजत
- दूसरी बेटी ने अदालत में याचिका दायर कर मां से मिलने की लगाई है गुहार
डिजिटल डेस्क, मुंबई, शीतला सिंह। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि मां से हर किसी को मिलने की इजाजत है। उससे मिलने से कोई रोक नहीं सकता है। मां किससे मिलना चाहती है और किससे मिलना नहीं चाहती है। यह उन्हें ही तय करने दिया जाए। अदालत 93 वर्षीय महिला की दो बेटियों के बीच मां को लेकर विवाद चल रहा है।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ ने गुरुवार को सुधा चौगुले की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील नवरोज सीरवई ने अदालत में दलील दी कि उन्हें उनकी मां से मिलने में रुकावट डाली जाती है। मां से मिलने के लिए कर्मचारियों और सुरक्षागार्डों से इजाजत लेनी पड़ती है। इस पर जया पटेल के वकील जमशीद मास्टर कहा कि मां से मिलने के लिए किसी को रोक नहीं है। कोई कभी भी मिल सकता है।
अदालत ने पूछा कि क्या मां की देखरेख कर्मचारी करते हैं?, तो वकील मास्टर ने कहा कि हर समय देखरेख एक नर्स करती हैं। याचिकाकर्ता ने 70 वर्षीय नर्स के देखरेख करने पर भी सवाल उठाया। खंडपीठ ने कहा कि मां अपने घर में रहती है। उनसे कोई भी मिल सकता है। बेटी उनसे मिलने आने पर खाने-पीने की चीज दे सकती है। अदालत ने दूसरी बेटी को हलफनामा दाखिल जवाब देने को कहा है कि वह मां से मिलने के लिए किसी को नहीं रोकेंगी।
याचिकाकर्ता चौगुले की मां 90 वर्षीय इंदु बेन पटेल उनकी बहन जया पटेल के साथ रहती हैं। उन्होंने मां के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने इस साल 21 मार्च में इंदु बेन पटेल की उनके निवास स्थान, उनकी इच्छाओं और बेटी सुधा से मिलने की इच्छा का पता लगाने के लिए वकील मंजिरी शाह को नियुक्त किया था। शाह ने 25 मार्च को इंदु बेन पटेल के आवास का दौरा किया और एक सीलबंद लिफाफे में अदालत को एक रिपोर्ट सौंपी थी। अदालत ने 30 जून को याचिकाकर्ता सुधा चौगुले, उनके पति, उनके बच्चों और पोते-पोतियों को अगले आदेश तक प्रत्येक सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को सुबह 10 से 11 बजे तक मां (इंदु बेन पटेल) से मिलने की अनुमति दी थी।