बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई फटकार

  • गड्ढों से होने वाली दुर्घटनाएं मानव निर्मित आपदाएं
  • अनुच्छेद 21 के तहत लोगों के अधिकारों की रक्षा करना राज्य का संवैधानिक कर्तव्य

Bhaskar Hindi
Update: 2023-08-11 15:33 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य सरकार पर फटकार लगाते हुए कहा कि गड्ढों और खराब सड़कों के कारण होने वाली मौतें मानव निर्मित आपदाएं है। अनुच्छेद 21 के तहत लोगों के अधिकारों की रक्षा करना राज्य का संवैधानिक कर्तव्य है। अदालत ने उसके निर्देशों का पालन करने में विफल रहने पर सरकार पर नाराजगी जताई। अदालत ने इस मामले से जुड़े राज्य सरकार समेत सभी पक्षों को हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का निर्देश दिया है।

मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष शुक्रवार को साल 2018 के आदेश का पालन नहीं करने के संबंध में वकील रूजू ठक्कर द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि एक पैदल यात्री या साइकिल चालक का खुले मेनहोल में गिर कर मौत होना प्राकृतिक आपदा नहीं है, यह एक मानव निर्मित आपदा है। अनुच्छेद 21 के तहत आप का न केवल एक संवैधानिक कर्तव्य है, बल्कि एक वैधानिक दायित्व भी है। खंडपीठ ने प्रत्येक महानगरपालिका के वार्ड के लिए वकीलों को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने और वार्ड अधिकारी के साथ सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है। सर्वेक्षण द्वारा यह देखा जा सके कि सभी मैनहोल पर सुरक्षात्मक ग्रिल लगाए गए हैं या नहीं।

मुंबई महानगर पालिका ने दावा किया कि बाढ़ संभावित क्षेत्रों में 6000 से अधिक मेनहोल को सुरक्षात्मक ग्रिल से ढक दिया गया है। शेष 94000 मेनहोल को मई 2024 तक कवर कर दिया जाएगा। अदालत सड़कों की खराब स्थिति पर विशेष रूप से बुधवार को अदालत में मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) के सभी 6 महानगरपालिकाओं के आयुक्तों को उपस्थित रहने के लिए कहा था।

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सभी 6 महानगरपालिकाओं के आयुक्त उपस्थित थे।

अदालत इस बात से नाराजगी जताई कि 2018 में उसके द्वारा अनुशंसित केंद्रीकृत शिकायत निवारण तंत्र पर राज्य सरकार कोई भी निर्णय लेने में विफल रही। अदालत ने अवमानना याचिकाओं में सभी उत्तरदाताओं को विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 29 सितंबर को रखी गई है। अदालत ने पिछले साल 30 सितंबर को राज्य सरकार के सचिव द्वारा दिए गए आश्वासनों को विशेष रूप से नोट किया।

मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने कहा कि मैं सांख्यिकी का छात्र हूं। मैंने डेटा देख लिया है। झूठ तीन प्रकार के होते हैं. झूठ, बहुत झूठ और सांख्यिकीय झूठ! अदालत ने कहा कि इन आंकड़ों को उस काम की मात्रा के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए, जिसे करने की जरूरत है। बीएमसी ने जोर देकर कहा कि वह वास्तव में बेहतर सड़कों की दिशा में काम कर रही है। अधिकांश महानगर पालिकाओं ने सड़कों की खराब स्थिति के लिए भारी बारिश को जिम्मेदार ठहराया।

2018 में अदालत ने कहा था कि विभिन्न सड़कें अलग-अलग निकायों के अंतर्गत आती हैं। एक नागरिक के लिए यह जानना असंभव है कि किसके पास शिकायत दर्ज कराई जाए। इसलिए केवल एक नंबर वाली एक केंद्रीकृत प्रणाली आवश्यक थी। यह साधारण कार्यकारी निर्णय लिया जा सकता था, लेकिन आपने क्या किया? सुरक्षित और वाहन योग्य सड़क उपलब्ध कराना उतनी ही आप की (राज्य सरकार) जिम्मेदारी है, जितनी महानगरपालिका की है। खतरा और समस्याएं जारी हैं।

बीएमसी की ओर से वरिष्ठ वकील अनिल सखारे अदालत में पेश हुए। इस मौके पर मौजूद बीएमसी आयुक्त इकबाल चहल कहा कि बीएमसी के अधिकार क्षेत्र में आने वाली सभी 2050 किलोमीटर सड़कों को अगले तीन वर्षों में पक्का कर दिया जाएगा। 1400 किलोमीटर सड़कों का कांक्रीटीकरण पूरा हो चुका है और 502 किलोमीटर पर अभी भी काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि बीएमसी द्वारा 55 हजार से अधिक गड्ढों की शिकायतों पर गौर किया गया। हालांकि एमएमआर क्षेत्र में अन्य महानगर पालिकाओं की सड़कों की हालत बहुत खराब है। तथ्य यह है कि यहां की सड़कें चलने योग्य नहीं हैं। आए दिन अखबारों में मामले सामने आ रहे हैं, नतीजा सिफर ही है।

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