बॉम्बे हाईकोर्ट: एसआरए की एजीआरसी अपने पहले के आदेश पर पुनर्विचार नहीं कर सकता
- झोपड़पट्टी पुनर्वास प्राधिकरण (एसआरए) की एजीआरसी अपने पहले के आदेश पर पुनर्विचार नहीं कर सकता
- अदालत ने एसआरए के शिकायत निवारण समिति का आदेश को किया रद्द
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि झोपड़पट्टी पुनर्वास प्राधिकरण (एसआरए) की सर्वोच्च शिकायत निवारण समिति (एजीआरसी) अपने आदेश पर पुनर्विचार नहीं कर सकता है। एजीआरसी द्वारा पिछले आदेश के मिनटों पर बात करते हुए पारित आदेश रद्द कर दिया था, जिसमें पक्षकारों को मूल आदेश में उल्लिखित एक से अलग समझौते को रजिस्टर्ड करने का निर्देश दिया गया था। न्यायमूर्ति माधव जे.जामदार की एकल पीठ ने 15 सितंबर 2023 के एजीआरसी का आदेश रद्द करते हुए इस बात पर जोर दिया कि पुनर्विचार वैधानिक क्षेत्राधिकार के बिना की गई। अदालत ने स्पष्ट किया कि बिल्डर के पास उचित कानूनी कार्यवाही के माध्यम से 28 जून 2023 के मूल आदेश को चुनौती देने का विकल्प है, लेकिन पुनर्विचार की अनुमति नहीं थी।
अदालत ने आगे स्पष्ट किया कि आदेश रद्द करने का उसका निर्णय पूरी तरह से पुनर्विचार करने के लिए वैधानिक क्षेत्राधिकार की अनुपस्थिति पर आधारित था। गुण-दोष के आधार पर सभी विवादों को स्पष्ट रूप से खुला रखा गया, जिससे पक्षकारों को उचित कानूनी चैनलों के माध्यम से अपने दावों और बचाव को आगे बढ़ाने की अनुमति मिली। याचिकाकर्ता के वकील अनीश एस.जाधव के माध्यम से दायर याचिका में ट्रांजिट किराए के भुगतान पर 28 जून 2023 के मूल आदेश का पालन करने की मांग की थी। अदालत ने अंडरटेकिंग के रूप में स्वीकार कर लिया और 28 जून 2023 के आदेश के अनुपालन पर ही आगे के कदम उठाने का निर्देश दिया।
एजीआरसी ने 28 जून 2023 को स्लम डेवलपर को याचिकाकर्ता को लागू ट्रांजिट किराया का भुगतान करने और दस कार्य दिवसों के भीतर स्थायी वैकल्पिक आवास के लिए 20 अप्रैल 2022 को किए गए समझौते को रजिस्टर्ड करने का निर्देश दिया था। बिल्डर ने मिनट्स में बोलने के लिए एक याचिका दायर किया, जिसमें कहा गया कि 20 अप्रैल 2022 को किया गया समझौता झोपड़ा पुनर्विकास योजना के अनुसार नहीं है। बिल्डर ने दलील दी कि इस प्रकार स्थायी वैकल्पिक आवास के लिए एक नए समझौते को निष्पादित और रजिस्टर्ड करने की आवश्यकता है