दवाओं की कमी: देश के टीबी रोगियों की दवाइयों का दुखड़ा दुनिया के 113 संगठनों ने किया प्रधानमंत्री से साझा
- पत्र के जरिए दवाओं की तत्काल उपलब्धता का अनुरोध
- देश के टीबी रोगियों की दवाइयों का दुखड़ा
डिजिटल डेस्क, मुंबई. मुंबई सहित देशभर में पिछले छह महीने से देश में टीबी के मरीजों के लिए जरूरी दवाओं की कमी हो गई है। इससे मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा दिसंबर से पहले केंद्र सरकार से दवा मिल पाना असंभव है, ऐसे में मरीजों की हालत और भी खराब हो गयी है। हालांकि अब इस गंभीर मामले में दुनिया के 113 संगठनों ने हस्तक्षेप किया है। इन संगठनों ने भारत मे टीबी की दवाई की कमी झेल रहे मरीजों का दुखड़ा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष पत्र के जरिए साझा किया है। इस पत्र के माध्यम से इन संगठनों ने दवा की कमी की समस्या के समाधान के लिए तत्काल कदम उठाने का अनुरोध किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य के बीच इस वर्ष दवा की कमी की बात उभरकर सामने आयी है। इसका सबसे ज्यादा असर एमडीआर और एक्सडीआर टीबी मरीजों पर पड़ रहा है। सरकारी टीबी डॉट्स केंद्र के साथ-साथ निजी मेडिकल स्टोर्स में दवा उपलब्ध नहीं होने से मरीज हताश हो गये हैं।
टीबी मरीजों के हित में काम करनेवाले एक्टिविस्ट गणेश आचार्य ने बताया कि दवाओं की आपूर्ति न होने से मरीजों के इलाज में बाधा आ रही है। आचार्य ने एमडीआर और एक्सडीआर टीबी मरीजों की संख्या भी बढ़ने की संभावना जताई है। उन्होंने बताया कि टीबी की कमी को लेकर कई बार पत्र भी भेजा गया लेकिन इस पर कदम उठाने की बजाए केंद्रीय टीबी नियंत्रण विभाग दवाई की कमी न होने की बात कह रहा है।
दुनिया के 113 संगठनों और 700 से अधिक नागरिकों द्वारा हस्ताक्षरित पत्र
गणेश आचार्य ने बताया कि भारत में टीबी रोग की दवाओं की कमी को लेकर भारत, अमेरिका, युगांडा, नाइजीरिया, जाम्बिया, घाना, केन्या, पाकिस्तान, श्रीलंका, फिजी, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, इंडोनेशिया आदि देशों के सामाजिक संगठनों सहित 700 से अधिक नागरिकों ने पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं। यह पत्र प्रधानमंत्री के अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को भेजा गया है।
पत्र के जरिए सुझाए गए उपाय
- डॉट्स और डॉट्स प्लस केंद्रों पर दवाओं की आपातकालीन खरीदारी और पुनर्वितरण करें।
- दवा खरीदी में तेजी लाएं, प्रबंधन में सुधार करें
- आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन प्रणालियों में पारदर्शिता लाएं
- दवाओं की निरंतर आपूर्ति के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर संसाधनों की योजना बनाएं
- भविष्य में दवा की कमी को रोकने के लिए दवा स्टॉक स्तर की निगरानी के लिए मजबूत प्रणाली बनाएं।