जबलपुर: 39 साल की मेहनत से न्यू राधिका बुक पैलेस को बना दिया अभिभावकों की पहली पसंद
- न्यू राधिका बुक पैलेस के संचालक स्व. श्रीकृष्ण कुमार इंदुरख्या का दो टेबल की दुकान से एजुकेशन माॅल बनाने का अनूठा सफर
- जबलपुर के साथ सम्पूर्ण महाकौशल और मध्य प्रदेश में न्यू राधिका बुक पैलेस अभिभावकों की पहली पसंद बन गया है।
- पूरे भारत में गहोई समाज के गरीब परिवारों के बच्चों के लिए स्कॉलरशिप उपलब्ध कराई जो निरंतर जारी है।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। गरीब परिवार के बच्चों की पढ़ाई में पैसा आड़े न आए और एक ही छत के नीचे समस्त प्रकार की अध्ययन सामग्री उपलब्ध हो सके। इस सोच के साथ तमरहाई स्कूल के पास दो टेबल में गोली-बिस्किट के साथ कॉपी-किताब की दुकान शुरू करने वाले स्व. श्रीकृष्ण कुमार इंदुरख्या ने 39 साल पहले वर्ष 1984 में अपने व्यवसाय की शुरुआत की थी।
कठिनाइयों के कई दौर आए लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और दिन-रात की मेहनत और बेहतर सोच की वजह से श्री इंदुरख्या का व्यापार बढ़ता चला गया और अब शहर के विजय नगर, रामपुर आदर्श नगर व मालवीय चौक के समीप उमेगा हॉस्पिटल के बगल से गोलबाजार में तीन एजुकेशन मॉल संचालित हो रहे हैं।
कॉपी-किताब के होल-सेल व्यवसाय में जबलपुर के साथ सम्पूर्ण महाकौशल और मध्य प्रदेश में न्यू राधिका बुक पैलेस अभिभावकों की पहली पसंद बन गया है।
प्राइवेट प्रकाशक की पुस्तकों पर सर्वप्रथम शहर में डिस्काउंट की शुरुआत की गई
श्री इंदुरख्या शुरू से ही शिक्षा माफिया की खिलाफत करते थे, इसलिए उन्होंने लीक से हटकर काम करते हुए प्राइवेट प्रकाशक की किताबों में डिस्काउंट देना शुरू किया।
इतना ही नहीं शहर के कई बड़े बुक सेलरों की मोनोपली तोड़ते हुए न्यू राधिका बुक पैलेस मेें सभी स्कूलों की कॉपी-किताब रखना शुरू किया। जिससे निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार के अभिभावकों को बड़ी राहत मिली।
श्रीकृष्ण कुमार इंदुरख्या का व्यापार से सिर्फ पैसा कमाने का उद्देश्य नहीं था, वे शुरू से ही गरीब और जरूरतमंद बच्चों की पढ़ाई में हरसंभव मदद करते थे। इसलिए उन्होंने प्रतिवर्ष गरीब बच्चों को मुफ्त पुस्तकें वितरण करना शुरू किया।
व्यापार के शुरुआती दौर में जगह न होने के कारण वे अपने सपनों को पूरा नहीं कर पा रहे थे। मेहनत रंग लाई और वर्ष 2007 में उन्होंने डीएन जैन कॉलेज के मार्केट में न्यू राधिका बुक पैलेस की स्थापना की।
फरवरी 2020 में उन्होंने एकता चौक विजय नगर में न्यू राधिका एजुकेशन मॉल बनाया, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में बीमार होने पर 15 दिन मौत से संघर्ष करने के उपरांत उनका निधन 24 फरवरी 2021 को हो गया।
व्यापारिक जीवन में पहले पत्नी विमलेश इंदुरख्या और फिर बेटे आलोक व श्रीराम इंदुरख्या ने पूरी जिम्मेदारी से उनका साथ दिया और अब उनके पोते आयुष इंदुरख्या भी अपने दादा के व्यापार को नए मुकाम तक पहुँचाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
गरीब बच्चों के लिए शुरू की स्कॉलरशिप
श्रीकृष्ण कुमार इंदुरख्या ने मॉडल स्कूल का छात्र संगठन बनाते हुए हिन्दी, विज्ञान में गोल्ड मेडल देने की शुरूआत की। वे गहोई वैश्य समाज की शिक्षा प्रचार समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने, जिसके जरिए उन्होंने पूरे भारत में गहोई समाज के गरीब परिवारों के बच्चों के लिए स्कॉलरशिप उपलब्ध कराई जो निरंतर जारी है।
1 ही छत के नीचे सब
श्री इंदुरख्या शुरू से चाहते थे कि कॉपी-किताब के साथ समस्त प्रकार की अध्ययन सामग्री, यूनिफॉर्म, स्कूल बैग, वॉटर बॉटल, स्कूल शूज, टिफिन, आर्ट एण्ड गैलरी के साथ स्टेशनरी की सभी रेंज एक ही छत के नीचे अभिभावकों को प्रदान की जाए।
उनका ये सपना पूरा हुआ और आज न्यू राधिका बुक पैलेस के सभी एजुकेशन मॉल में हर अध्ययन सामग्री समस्त रेंजों के साथ उपलब्ध कराई जा रही है।